लखनऊ का चारबाग रेलवे स्टेशन: नवाबी बागों से अंग्रेजों के भव्य स्टेशन तक का सफर
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और नवाबी संस्कृति एक-दूसरे के पर्याय हैं। नवाबी रंग-रूप, अदब-ओ-तहजीब और खूबसूरत बागों की विरासत ने इस शहर को ‘नवाबों की नगरी’ का खिताब दिलाया है। ऐसे ही गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है चारबाग — जो सिर्फ एक रेलवे स्टेशन नहीं, बल्कि लखनऊ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक वैभव का जीवंत उदाहरण है।
चारबाग का नाम कैसे पड़ा
पुराने समय में इस इलाके को ‘चहार बाग’ कहा जाता था। अवध के चौथे नवाब आसफुद्दौला का यह पसंदीदा बाग था। इतिहासकार रवि भट्ट के अनुसार, 1775 में नवाब आसफुद्दौला ने राजधानी फैजाबाद से लखनऊ स्थानांतरित की और चारबाग बनवाया। इस्लाम में चारबाग की कल्पना जन्नत के बाग से की गई थी, जो चार बराबर हिस्सों में बंटा होता है। लखनऊ का चारबाग भी छोटी-छोटी नहरों और रास्तों से चार हिस्सों में विभाजित था, और इसके मध्य में एक ईरानी शैली का भवन स्थित था।
1857 का युद्ध औ...









