Friday, December 19

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न्यूयॉर्क क्यों बना संयुक्त राष्ट्र का स्थायी मुख्यालय? 11 दिसंबर 1946 की ऐतिहासिक कहानी
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न्यूयॉर्क क्यों बना संयुक्त राष्ट्र का स्थायी मुख्यालय? 11 दिसंबर 1946 की ऐतिहासिक कहानी

दूसरे विश्व युद्ध के बाद शांति और अंतरराष्ट्रीय संवाद के लिए एक स्थायी मंच की आवश्यकता महसूस की गई थी। इसी क्रम में 11 दिसंबर 1946 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ऐतिहासिक निर्णय लिया और न्यूयॉर्क शहर को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय का स्थायी घर घोषित किया। यह निर्णय केवल एक स्थान तय करने तक सीमित नहीं था, बल्कि युद्धोत्तर विश्व में स्थायी शांति और वैश्विक संवाद का प्रतीक बन गया। कौन-कौन से शहरों पर विचार हुआ? शुरुआत में लंदन, जिनेवा, सैन फ्रांसिस्को और फ़िलाडेल्फ़िया जैसे शहरों पर भी विचार हुआ। लेकिन अंततः न्यूयॉर्क को प्राथमिकता दी गई। अमेरिका नई महाशक्ति के रूप में उभर चुका था और संयुक्त राष्ट्र की मेजबानी उसकी वैश्विक भूमिका को दर्शाने का अवसर थी। वॉरेन आर. ऑस्टिन का निर्णायक योगदान अमेरिका के स्थायी प्रतिनिधि वॉरेन आर. ऑस्टिन ने महासभा के भीतर और बाहर लगातार न्यूयॉर्क के समर्थन म...
ट्रंप का नया ग्लोबल प्लान: भारत, चीन, रूस और जापान के साथ C-5, क्या G-7 का होगा अंत?
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ट्रंप का नया ग्लोबल प्लान: भारत, चीन, रूस और जापान के साथ C-5, क्या G-7 का होगा अंत?

वॉशिंगटन/नई दिल्ली: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी नई नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटेजी (NSS) में एक चौंकाने वाला प्रस्ताव रखा है। इसके तहत अमेरिका, भारत, चीन, रूस और जापान को मिलाकर एक नया वैश्विक मंच C-5 बनाने की योजना है। NSS ड्राफ्ट के अनुसार, C-5 आर्थिक या लोकतांत्रिक मानदंडों पर आधारित नहीं होगा, बल्कि दुनिया की पांच सबसे बड़ी जनसंख्या वाले और जियो-पॉलिटिकल रूप से शक्तिशाली देशों का मंच होगा। इस समूह का उद्देश्य विश्व स्तर पर सुरक्षा, शांति और जियो-पॉलिटिकल मुद्दों का समाधान करना होगा। G-7 का दबदबा खतरे में? विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर C-5 का गठन होता है, तो G-7 का अस्तित्व और वैश्विक प्रभाव संकट में पड़ सकता है। G-7 में अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और यूके शामिल हैं। रूस और अमेरिका का दृष्टिकोण ट्रंप प्रशासन ने NSS में स्पष्ट किया है कि अमेरि...
सऊदी अरब-पाकिस्तान परमाणु सुरक्षा डील: भारत का खाड़ी देशों पर असर घटा? अमेरिकी विशेषज्ञ की चिंता
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सऊदी अरब-पाकिस्तान परमाणु सुरक्षा डील: भारत का खाड़ी देशों पर असर घटा? अमेरिकी विशेषज्ञ की चिंता

रियाद/नई दिल्ली: सऊदी अरब और पाकिस्तान ने अचानक परमाणु सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस डील के तहत दोनों देशों में से किसी पर हमला अन्य देश पर हमला माना जाएगा। अमेरिकी विशेषज्ञ जीन लूप का मानना है कि इस कदम को कतर पर इजरायल के हालिया हमले और खाड़ी क्षेत्र की बढ़ती असुरक्षा से जोड़कर देखना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार, सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच यह रिश्ता नया नहीं है। लंबे समय से पाकिस्तानी सैनिक सऊदी सेना को ट्रेनिंग और सुरक्षा में सहायता करते रहे हैं। साल 1963 से पाकिस्तानी सैनिक मक़्का और मदीना सहित सऊदी अरब की जमीन की सुरक्षा में तैनात हैं। जीन लूप ने बताया कि खाड़ी क्षेत्र में भारत का प्रभाव घटता जा रहा है, खासकर सऊदी अरब, यूएई और ओमान के चीन की ओर झुकाव के कारण। सऊदी अरब ने यमन युद्ध में पाकिस्तान के असहयोग के बाद चीन के साथ अपने रिश्ते मजबूत किए। अब कई खाड़ी देशों ने ची...
असीम मुनीर बने पाकिस्तान के ‘सुपर आर्मी चीफ’, सिंधी नेता शफी बुरफत की पीएम मोदी को चिट्ठी—‘परमाणु हथियार खतरे में’
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असीम मुनीर बने पाकिस्तान के ‘सुपर आर्मी चीफ’, सिंधी नेता शफी बुरफत की पीएम मोदी को चिट्ठी—‘परमाणु हथियार खतरे में’

इस्लामाबाद/नई दिल्ली: पाकिस्तान की संसद ने संविधान में बड़ा संशोधन करते हुए सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) बना दिया है। इस पद के साथ मुनीर को पाकिस्तान की नेशनल पॉलिसी, आंतरिक सुरक्षा, रक्षा व्यवस्था और राजनीतिक ढांचे पर व्यापक नियंत्रण मिल गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस कदम के बाद पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। इसी बीच सिंध के प्रख्यात नेता और जेय सिंध मुत्ताहिदा महाज (JSMM) के चेयरमैन शफी बुरफत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक विस्तृत चिट्ठी लिखकर दुनिया का ध्यान पाकिस्तान की अस्थिर राजनीतिक-सैन्य संरचना की ओर खींचा है। फ्रैंकफर्ट से भेजे गए इस पत्र में उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान “कट्टरपंथी सैन्य तंत्र” के हाथों में चला गया है, और असीम मुनीर को परमाणु हथियारों का पूर्ण नियंत्रण देना पूरे क्षेत्र के लिए “सीधा खतरा” है...
बंबई हमले का बदला: पाकिस्तान के बहावलपुर में लश्कर-जे-मोहम्मद का खतरनाक जलसा, हाफिज सईद के बेटे ने दिया जहरीला बयान
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बंबई हमले का बदला: पाकिस्तान के बहावलपुर में लश्कर-जे-मोहम्मद का खतरनाक जलसा, हाफिज सईद के बेटे ने दिया जहरीला बयान

इस्लामाबाद/बहावलपुर: पाकिस्तान के बहावलपुर में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों का बड़ा जलसा आयोजित किया गया, जिसमें हाफिज सईद के बेटे ने आग उगलते बयान दिए। वीडियो में आतंकियों ने कहा, “बंबई को हमने ढेर किया, अब आगरा और दिल्ली कुछ भी नहीं।” यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जानकारी के अनुसार, इस जलसे में शामिल आतंकियों का नाम पिछले आतंकवादी हमलों, जैसे पहलगाम हमला और दिल्ली कार बम धमाका से जुड़ा है। एनडीटीवी के अनुसार, यह आयोजन जैश-ए-मोहम्मद के हेडक्वार्टर में हुआ था, जिसे भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पहले ध्वस्त कर दिया था। वीडियो में लश्कर-ए-तैयबा के डिप्टी चीफ सैफुल्लाह कसूरी भी जैश कमांडरों के साथ नजर आए। इससे साफ जाहिर होता है कि ये दोनों आतंकी संगठन भारत के खिलाफ मिलकर काम कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का जलसा पाकिस्तान सरकार से इन ...
शहबाज सरकार ने उठाया बड़ा कदम: पाकिस्तान में नए प्रांत बनाने की तैयारी, बिलावल भुट्टो भी नाराज
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शहबाज सरकार ने उठाया बड़ा कदम: पाकिस्तान में नए प्रांत बनाने की तैयारी, बिलावल भुट्टो भी नाराज

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में लंबे समय से टली हुई नए प्रांत बनाने की बहस अब तेजी पकड़ रही है। शहबाज शरीफ सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए छोटे प्रांत बनाने का प्रस्ताव रखा है, जिससे प्रशासनिक नियंत्रण मजबूत होगा और नागरिकों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी। सरकार में मंत्री अब्दुल अलीम खान ने कहा,"सिंध, पंजाब, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा से तीन-तीन छोटे प्रांत बनाए जाएंगे। हमारे पड़ोसी देशों में छोटे प्रांत सफल रहे हैं, हमें भी यह मॉडल अपनाना चाहिए।" हालांकि, सत्ता सहयोगी और पीपीपी चेयरमैन बिलावल भुट्टो इस योजना से असंतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि सबसे पहले साउथ पंजाब को अलग प्रांत बनाया जाए और फिर आगे बढ़ें। पीपीपी ने पारंपरिक रूप से सिंध के विभाजन का विरोध किया है और बिलावल का यह बयान सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि नए प्रांत बनाने के पीछे सेना प्रमुख असीम म...
भारत से दुनिया को सीखना चाहिए, पुतिन ने तारीफ की विविधता और एकता की
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भारत से दुनिया को सीखना चाहिए, पुतिन ने तारीफ की विविधता और एकता की

नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा बीते हफ्ते चर्चा का विषय बना रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयरपोर्ट पर पुतिन का गरिमापूर्ण स्वागत किया और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। पुतिन ने 4 दिसंबर की शाम नई दिल्ली पहुँचकर 5 दिसंबर की रात मॉस्को के लिए प्रस्थान किया। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की और राष्ट्रपति भवन में डिनर किया। पुतिन ने अपनी भारत यात्रा के अनुभव साझा करते हुए देश की संस्कृति और विविधता की विशेष सराहना की। उन्होंने कहा,"1.5 अरब की आबादी वाले भारत में अलग-अलग भाषाएं और संस्कृतियां रहने के बावजूद लोग एकजुट हैं। यह 'विविधता में एकता' का अद्भुत उदाहरण है, जो पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा है।" उन्होंने यह भी बताया कि भारत में सभी हिंदी नहीं बोलते। लगभग 500-600 मिलियन लोग हिंदी बोलते हैं, लेकिन बाकी लोग अलग-अलग भाषाओं में संवाद ...
दुनिया के दुर्लभ खनिज पर म्यांमार में जंग, QUAD की एंट्री से भारत बना पावर प्लेयर
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दुनिया के दुर्लभ खनिज पर म्यांमार में जंग, QUAD की एंट्री से भारत बना पावर प्लेयर

नेपीडॉ/नई दिल्ली: दुनिया में दुर्लभ खनिजों के लिए वैश्विक शक्तियों के बीच पॉवर गेम तेज होता जा रहा है। म्यांमार, जो भारत, चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया के ट्राइजंक्शन पर बसा है, अब इस मुकाबले का नया अखाड़ा बन गया है। QUAD देशों—भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान—की एंट्री ने चीन के प्रभुत्व को चुनौती दी है। म्यांमार में दुनिया की सबसे दुर्लभ खनिज संपदा पाई जाती है, जिसमें डिस्प्रोसियम जैसे मिनरल शामिल हैं। ये उच्च तकनीक वाले हथियार, इलेक्ट्रिक वाहन और एडवांस इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने के लिए जरूरी हैं। जिसके पास इन पर नियंत्रण होगा, वह लंबे समय तक वैश्विक टेक्नोलॉजी और सैन्य शक्ति में बढ़त बनाए रख सकेगा। साल 2021 में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद चीन ने देश की सेना को हथियार सप्लाई के जरिए मजबूत किया और म्यांमार के 80% जरूरी खनिजों पर कब्जा जमा लिया। लेकिन अब कचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (KIA)...
पुतिन के भारत दौरे से अमेरिका में बेचैनी, वॉशिंगटन ने जताई चिंता
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पुतिन के भारत दौरे से अमेरिका में बेचैनी, वॉशिंगटन ने जताई चिंता

वॉशिंगटन/नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इस महीने दिल्ली दौरे ने अमेरिका को चिंतित कर दिया है। अमेरिकी थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल के सीनियर फेलो माइकल कुगेलमैन ने कहा कि भारत और रूस के बीच बढ़ते करीबी संबंध को वॉशिंगटन सतर्कता के साथ देख रहा है। कुगेलमैन ने बताया कि पुतिन के दौरे के दौरान हुए रूस-भारत शिखर सम्मेलन और इसके साथ आए सैन्य और कमर्शियल सहयोग को अमेरिका इस तरह देख सकता है कि भारत यूक्रेन में शांति प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन के साथ भी संपर्क बनाए हुए हैं, जो भारत की न्यूट्रल नीति को दर्शाता है। कुगेलमैन ने अमेरिका की बेचैनी की वजह बताते हुए कहा कि दौरे का समय संवेदनशील है। क्वाड शिखर सम्मेलन टल गया, रूस के खिलाफ नए अमेरिकी प्रतिबंध लागू हुए और भारत ने पुतिन के दौरे से कुछ दिन पहले रूस से तेल खरीद...
अमेरिका का नया वीजा नियम: H-1B और H-4 आवेदकों को सोशल मीडिया सार्वजनिक करना अनिवार्य, भारतीयों में बढ़ी बेचैनी
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अमेरिका का नया वीजा नियम: H-1B और H-4 आवेदकों को सोशल मीडिया सार्वजनिक करना अनिवार्य, भारतीयों में बढ़ी बेचैनी

वॉशिंगटन/नई दिल्ली: अमेरिकी सरकार ने H-1B और H-4 वीजा आवेदकों के लिए नए नियम जारी किए हैं, जिसके तहत उन्हें अपने सोशल मीडिया अकाउंट सार्वजनिक करने होंगे। यह नियम 15 दिसंबर 2025 से लागू होगा और नए आवेदन के साथ-साथ वीजा नवीनीकरण (रीन्यू) पर भी लागू होगा। भारत में इससे चिंता का माहौल है, क्योंकि अमेरिका में H-1B वीजा धारकों में 70% और H-4 वीजा धारकों में 90% भारतीय हैं। इन लोगों की नौकरियां, पढ़ाई, निजी यात्रा और फैमिली प्लान प्रभावित हो सकते हैं। अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, यह नियम पहले से चल रहे ऑनलाइन चेक को बढ़ाता है। इसके तहत कंसुलर अधिकारी आवेदकों के फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पोस्ट और गतिविधियों की समीक्षा कर सकेंगे। एक्सपर्ट चेतावनी देते हैं कि यहां तक कि छोटी-मोटी पोस्ट, राजनीतिक विचार या प्रोफेशनल प्रोफाइल की गड़बड़ी भी वीजा रद्द होने का आधार...