हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की इच्छा सर्वोपरि, जबरन नहीं कराया जाएगा गर्भपात
जबलपुर, 3 नवम्बर।मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि किसी भी महिला — चाहे वह नाबालिग ही क्यों न हो — को उसकी इच्छा के विरुद्ध गर्भपात के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि प्रजनन स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है और गर्भपात के लिए गर्भवती की सहमति सर्वोपरि है, जिस पर कोई अतिक्रमण नहीं किया जा सकता।
यह फैसला बुंदेलखंड के पन्ना जिले की उस नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के मामले में आया है, जिसने अपने माता-पिता के साथ मिलकर गर्भपात से इंकार कर दिया था।
कोर्ट ने माना — “मर्ज़ी ही सर्वोच्च”
न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने कहा कि यौन और प्रजनन अधिकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता के दायरे में आते हैं। किसी को भी इस पर जबरन निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि पीड़िता और उसके अभिभावक गर्भावस्था...









