Friday, December 19

बोकारो में ‘शोले’ के रामगढ़ जैसी झलक: दो नदियों का अमर मिलन, युवाओं के लिए नया रील डेस्टिनेशन

बोकारो: झारखंड न केवल खनिजों की भूमि है, बल्कि यहां का प्राकृतिक सौंदर्य भी मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। बोकारो-यूरुलिया राष्ट्रीय राजमार्ग पर पिंडराजोरा से लगभग 15 किलोमीटर दूर, चास प्रखंड के खीराबेड़ा गांव में स्थित चेनद्री डूंगरी और बाघा डूंगरी अपनी अद्भुत प्राकृतिक संरचना और ऐतिहासिक महत्व के लिए मशहूर हैं। इन चट्टानों की बनावट देखकर फिल्म ‘शोले’ के रामगढ़ की याद ताजा हो जाती है।

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प्रकृति, इतिहास और आस्था का संगम
चेनद्री डूंगरी और बाघा डूंगरी सिर्फ पर्यटन स्थल ही नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था का केंद्र भी हैं। चेनद्री डूंगरी में मुस्लिम समुदाय मुहर्रम की रस्में निभाता है, जबकि बाघा डूंगरी में मां काली और बजरंगबली के पूजा स्थल मौजूद हैं। ग्राम देवता का मंदिर भी यहीं स्थित है, जो सामाजिक सौहार्द का संदेश देता है। बरसात में इन ऊंची चट्टानों का दृश्य और भी मनोरम हो जाता है, वहीं पास का तालाब गर्मियों में ठंडक और सुकून देता है।

पर्यटन और युवाओं की रुचि
बाघ डूंगरी धीरे-धीरे एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन रहा है। नववर्ष और सर्दियों में यहां पिकनिक मनाने वालों की भीड़ उमड़ती है। युवाओं के लिए यह स्थल अब रील और सेल्फी का मनपसंद डेस्टिनेशन बन चुका है। खीराबेड़ा गांव के अंतिम छोर पर गुजरती गवई और पांगड़ा नदियों का संगम स्थल इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देता है। मकर संक्रांति के अवसर पर यहां आयोजित मेले में हजारों लोग शामिल होते हैं और मां गंगा की पूजा करते हैं।

भविष्य में संभावनाएं
यदि राज्य पर्यटन विभाग इस क्षेत्र पर ध्यान दे, तो खीराबेड़ा और बाघ डूंगरी ना केवल आकर्षक पर्यटन स्थल बन सकते हैं, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर सकते हैं। यह क्षेत्र झारखंड के पर्यटन मानचित्र पर नया आकर्षण बनकर उभर सकता है।

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