Friday, December 19

Opinion

क्या हरियाणा में कांग्रेस वाकई “वोट चोरी” से हारी थी? मैदान में जो दिखा, उसने सच्चाई उजागर कर दी
Haryana, Opinion, Politics

क्या हरियाणा में कांग्रेस वाकई “वोट चोरी” से हारी थी? मैदान में जो दिखा, उसने सच्चाई उजागर कर दी

हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणामों को एक साल बीत चुका है, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में अपनी तथाकथित “H-फाइल्स” जारी कर एक नया विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में हर आठवां मतदाता फर्जी है और बड़े पैमाने पर “वोट चोरी” हुई है। लेकिन उन्होंने इन दावों के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया। राहुल गांधी यह सवाल उठाते हैं कि जब कांग्रेस को अपनी जीत का पूरा भरोसा था, तो भाजपा को बहुमत कैसे मिल गया। मगर भाजपा या चुनाव आयोग पर उंगली उठाने से पहले उन्हें यह बताना होगा कि कांग्रेस को हरियाणा विधानसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त करने में पूरा एक साल क्यों लग गया? और आखिर पार्टी अब भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा परिवार से आगे नई नेतृत्व पंक्ति क्यों नहीं बना पाई? असल समस्या शायद मतदाता सूची में नहीं, बल्कि कांग्रेस के अंदर ही छिपी है। कांग्रेस का अंदरूनी पतन हमारी जमीन...
महाराष्ट्र नगरीय निकाय चुनाव 2025: लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत करने का समय
Maharashtra, Opinion

महाराष्ट्र नगरीय निकाय चुनाव 2025: लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत करने का समय

लेखक: विनायक अशोक लुनिया भारत का लोकतंत्र केवल संसद या विधानसभा तक सीमित नहीं है। इसकी असली ताकत और आत्मा उन संस्थाओं में बसती है जो जनता के सबसे नज़दीक हैं — ग्राम पंचायतें, नगर परिषदें और नगर पंचायतें**।हाल ही में **महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित नगर निकाय चुनावों की अधिसूचना इस लोकतांत्रिक यात्रा का एक और महत्वपूर्ण अध्याय है। आने वाली 2 दिसंबर 2025 को राज्य के लगभग 300 नगरीय निकाय फिर से जनता की अदालत में जाएंगे — विश्वास का नया जनादेश पाने के लिए। 🔹 स्थानीय शासन — लोकतंत्र का असली चेहरा स्थानीय निकाय चुनावों में लोकतंत्र अपनी सबसे नज़दीकी अभिव्यक्ति पाता है।जहाँ सांसद और विधायक नीतियाँ बनाते हैं, वहीं नगरसेवक और पार्षद उन्हें धरातल पर अमल में लाते हैं**।सड़क, नाली, पेयजल, स्वच्छता और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएँ इन्हीं के निर्णयों पर निर्भर करती हैं। इसलिए,...
पदक और मैचों से आगे — भारत को खेल को “विकास का आधार” मानना होगा, “मनोरंजन” नहीं
Opinion, Sports

पदक और मैचों से आगे — भारत को खेल को “विकास का आधार” मानना होगा, “मनोरंजन” नहीं

दशकों से भारत में खेलों को एक वैकल्पिक क्षेत्र के रूप में देखा गया है — जिसे चाहो तो अपनाओ, वरना जीवन में जरूरी नहीं। लेकिन आज खेल केवल मैदानों तक सीमित नहीं हैं। ये स्वास्थ्य, शिक्षा, अर्थव्यवस्था, सामाजिक एकता और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा से सीधे जुड़े हैं।खेलों को राष्ट्रीय विकास के स्तंभ के रूप में मान्यता देना अब केवल खिलाड़ियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की प्रगति के लिए अनिवार्य हो गया है।अब समय है कि नीति, शासन और समाज मिलकर इस दृष्टिकोण को संस्थागत रूप दें। 🔹 मनोरंजन से राष्ट्र निर्माण तक भारत जैसे विशाल और युवा देश में खेलों को केवल मनोरंजन का साधन नहीं माना जा सकता। खेल अनुशासन, आत्मविश्वास, टीम भावना और धैर्य सिखाते हैं — जो एक मजबूत समाज की नींव हैं।फिर भी, भारत में खेलों को अब भी “ऐच्छिक” समझा जाता है। राष्ट्रीय बजट में इसका हिस्सा नगण्य है, शिक्षा में इसका स्थान सीम...
नीतीश के बीस साल बाद: क्या अब बिहार बदलेगा अपनी चाल?
Opinion

नीतीश के बीस साल बाद: क्या अब बिहार बदलेगा अपनी चाल?

6 नवम्बर 2025 को बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान होने जा रहा है। इस बार दांव बहुत बड़ा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि नीतीश कुमार के दो दशकों के शासनकाल में बिहार ने आधारभूत ढांचे और सुशासन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। लेकिन असली चुनौती अब यह है कि इन उपलब्धियों को किस प्रकार गुणवत्तापूर्ण रोजगार, बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और तीव्र मानव विकास में बदला जाए। अगर बिहार को विकास के नए पायदान पर पहुंचना है, तो आने वाली सरकार को “इनपुट” की जगह “आउटकम” पर ध्यान केंद्रित करना होगा — वरना एक और मौका हाथ से निकल जाएगा। मंच तैयार है — लेकिन उड़ान अभी बाकी यह सच है कि बिहार ने प्रगति की है। राज्य की विकास दर में सुधार हुआ है, सड़कों का जाल बिछा है, गांव-गांव बिजली पहुंची है और निवेशकों की रुचि भी बढ़ी है। परंतु यह सब बहुत ही निम्न स्तर से शुरू हुआ है। नीति आयोग के एसडीजी इंडिया इ...
जलवायु की दौड़ में फंडिंग पीछे रह गई: UN रिपोर्ट ने बताया कितना बड़ा है एडेप्टेशन का फासला
Opinion

जलवायु की दौड़ में फंडिंग पीछे रह गई: UN रिपोर्ट ने बताया कितना बड़ा है एडेप्टेशन का फासला

दुनिया के तापमान तेज़ी से बढ़ रहे हैं, तूफान और सूखा अब मौसम नहीं, ज़िंदगियों का सवाल बन चुके हैं, मगर इस जंग में सबसे अहम हथियार, यानी क्लाइमेट एडेप्टेशन फाइनेंस, अब भी पीछे छूट रहा है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की नई रिपोर्ट Adaptation Gap Report 2025: “Running on Empty” ने चेताया है कि विकासशील देशों को 2035 तक हर साल कम से कम 310 अरब डॉलर की ज़रूरत होगी ताकि वे जलवायु प्रभावों से खुद को बचा सकें। लेकिन हकीकत यह है कि 2023 में यह मदद सिर्फ़ 26 अरब डॉलर रही, यानि ज़रूरत और मदद के बीच अब 12 से 14 गुना का फासला है। एडेप्टेशन कोई खर्च नहीं, ज़िंदगी की लाइफ़लाइन है UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, “जलवायु प्रभाव हर दिन तेज़ हो रहे हैं, लेकिन एडेप्टेशन फाइनेंस उस रफ्तार से नहीं बढ़ रहा। यह खर्च नहीं, जीवनरेखा है। अगर अभी निवेश नहीं किया, तो हर साल कीमत और भारी प...
सुधरती दिशा, धीमी रफ्तार: नई रिपोर्ट में दिखा कि दुनिया अब जलवायु संकट से जूझते हुए भी आगे बढ़ रही है
Opinion

सुधरती दिशा, धीमी रफ्तार: नई रिपोर्ट में दिखा कि दुनिया अब जलवायु संकट से जूझते हुए भी आगे बढ़ रही है

दस साल पहले जब Paris Agreement हुआ था, दुनिया ने तय किया था कि तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस के भीतर रखना है। अब, 2025 में आई UNFCCC की नई Synthesis Report बताती है कि यह सफर मुश्किल ज़रूर है, लेकिन ठहर नहीं गया है।पहली बार, दुनिया का उत्सर्जन वक्र नीचे झुकना शुरू हुआ है — यानी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन अब बढ़ नहीं रहा, बल्कि धीरे-धीरे घटने लगा है। रिपोर्ट में शामिल देशों की नई और अपडेटेड राष्ट्रीय जलवायु योजनाएं (NDCs) वैश्विक उत्सर्जन का करीब एक-तिहाई हिस्सा कवर करती हैं। इनमें से 88% देशों ने अपनी योजना COP28 के Global Stocktake के नतीजों से प्रभावित होकर बनाई है, जबकि 89% देशों ने पूरे अर्थव्यवस्था स्तर पर लक्ष्य तय किए हैं। लगभग 73% NDCs में जलवायु अनुकूलन (Adaptation) के तत्व हैं, और एक-तिहाई देशों ने Loss and Damage यानी जलवायु आपदाओं से हुए नुकसान को अपनी योजनाओं में शामिल किय...
Unions Call On Trump Administration For More Robust Response
Opinion, Politics, Reviews

Unions Call On Trump Administration For More Robust Response

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US Warns Citizens Of Sexual aAssault In Spain
Opinion, Politics

US Warns Citizens Of Sexual aAssault In Spain

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