Harsha Richhariya : हिन्दू आबादी बढ़ाने पर क्या बोली महाकुंभ की सबसे सुंदर साध्वी हर्षा रिछारिया, सनातन पर भी रखी बेबाक राय


beautiful Sadhvi of Kumbh Mela Harsha Richaria News : कुंभ मेले के दौरान ग्लैमर से सराबोर इंफ्लूएंसर हर्षा रिछारिया (Harsha Richaria) सोशल मीडिया पर जमकर सुर्खियां बटोर रही हैं। महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े की पेशवाई के दौरान हर्षा रिछारिया रथ पर बैठी नजर आईं तो मीडिया के कैमरों में कैद हो गईं। उनको कुंभ मेले की सबसे सुंदर साध्वी का खिताब दिया जाने लगा। महाकुंभ मेले में अखाड़े की पेशवाई के बाद ग्लैमरस इंफ्लूएंसर और कथित साध्वी भले ही अब बैकफुट पर आ गई हों, खुद को सनातन का भक्त बता रही है। वहीं अब संतों ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है कि वे पेशवाई के दौरान रथ पर कैसे बैठी। 

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साध्वी नहीं हूं 
देखते ही देखते सोशल मीडिया पर हर्षा पर का गुणगान होने लगा। तरह-तरह के कमेंट आने लगे कि इतनी कम उम्र में वे साध्वी भी क्यों बन गईं। हालांकि इस मुद्दे पर हर्षा रिछारिया ने मीडिया के कैमरे पर आकर स्पष्ट किया है कि वे कोई साध्वी नहीं हैं। उन्होंने संन्यास नहीं लिया है। वे सनातनी हैं जिस नाते उन्होंने कुछ समय पहले अपने गुरु से गुरुमंत्र लिया है। इसलिए साध्वी का टाइटल देना गलत है।

 

हर्षा ने सनातन बोर्ड गठन की पैरवी की 

हर्षा से मीडिया ने पूछा कि सनातन संसद होने वाली है, होनी चाहिए या नहीं? उन्होंने कहा कि सनातन बोर्ड का गठन जरूर होना चाहिए, क्योंकि संस्कृति बचाने और अपने धर्म को बचाने के लिए सनातन बोर्ड गठन जरूरी हो जाता है। यह बोर्ड सनातन मंदिरों और पुरातत्व से जुड़े फैसले लेगा, यदि कोई हमारी संस्कृति और धर्म पर प्रहार करेगा तो साधु-संत और मंहत उस पर राय रखतें हुए निर्णय लेंगे।

 

भारतीय संस्कृति और अध्यात्म से जुड़ रहे हैं विदेशी

हमारी सरकार अध्यात्म के लिए बहुत काम कर रही है। विशेष तौर पर यूपी सरकार ने महाकुंभ के लिए जो किया है उसकी चर्चा विदेशों में भी हो रही है। सनातन धर्म को विदेश में बैठे लोग जान रहे हैं और उसी का परिणाम है कि इतनी बड़ी संख्या में विदेशी प्रयागराज महाकुंभ में आए हैं और हमारी संस्कृति और सनातन धर्म से जुड़ने की ललक उनमें दिखाई दे रही है। 

इंफ्लूएंसर सनातन के लिए करें काम

हर्षा ने कहा कि वे एक इंफ्लूएंसर हैं, युवाओं को रहा दिखाने के लिए इंफ्लूएंसर की बड़ी भूमिका और योगदान हो सकता है। इंफ्लूएंसर यदि अपना काम सही ढंग से करें तो सोसायटी और युवाओं को दिशा दे सकते हैं। इसलिए मैं कहती हूं कि जिस इंफ्लूएंसर के पास दस मिलियन यानी एक करोड़ दर्शक हैं वे सनातन के लिए काम करें, जिससे बदलाव की बयार बहेंगी। मैं खुद भी इंफ्लूएंसर हूं और अपनी रील के माध्यम से लोगों को धर्म व संस्कृति के बारे में जागरूक करती हूं।

 

आबादी बढ़ाने से कुछ नहीं होगा

हर्षा रिछारिया से मीडिया ने पूछा कि हिन्दू की जनसंख्या कम हो रही है? उन्होंने जबाव देते हुए कहा कि आप एक बच्चा पैदा कीजिए या दस। मायने यह रखता है कि उसको किस तरह के संस्कार दिए गए हैं, परवरिश कैसी हुई है। यदि दो बच्चे पैदा हुए और उन्हें अपने धर्म-संस्कृति से जोड़ा गया है तो वे परिवार, समाज, देश और धर्म को आगे बढ़ाएंगे। इसके विपरीत 10 बच्चे पैदा करके ऐसे ही छोड़ दें, संस्कारों का अभाव हो वह सनातन से न जुड़े तो वह कल माता-पिता को ही घर से बाहर खड़ा कर देंगे। इसलिए आबादी बढ़ाने की जरूरत नही है।

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साध्वी का टाइटल गलत है, मैं सनातन भक्त हूं

हर्षा रिछारिया ने कहा कि साध्वी बनने के लिए बहुत से नियम, साधना, संस्कार और तमाम जरूरी चीजें है जिन्हें अपनाना पड़ता है। मैं साध्वी बनने की प्रक्रिया से नहीं हूं। मैने खुद को सनातन के लिए समर्पित कर दिया है, मैं अपने परिवार और मित्रों से मिलती हूं। साध्वी और सनातन दोनों में अंतर है। भविष्य में साध्वी बनूंगी, मेरी राह और दिशा क्या होगी, मेरी तकदीर में क्या लिखा है यह मेरे महादेव ही जाने। कह नहीं सकती हूं। Edited by : Sudhir Sharma



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