मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा ने कहा कि घरेलू बचत ने बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था की निवेश संबंधी जरूरतों को पूरा किया है और आने वाले दशकों में यह कर्ज का मुख्य स्रोत बनी रहेगी।
उन्होंने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कार्यक्रम ‘फाइनेंसिंग 3.0 शिखर सम्मेलन: विकसित भारत की तैयारी' के दौरान कहा कि हाल में, महामारी के दौरान जमापूंजी खत्म होने और वित्तीय परिसंपत्तियों से आवास जैसी भौतिक परिसंपत्तियों में स्थानांतरण के कारण परिवारों की शुद्ध वित्तीय बचत 2020-21 के स्तर से लगभग आधी हो गई है।
पात्रा ने कहा कि आने वाले समय में आय वृद्धि से उत्साहित होकर परिवार अपनी वित्तीय परिसंपत्तियों का निर्माण करेंगे। यह प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। परिवारों की वित्तीय परिसंपत्तियां 2011-17 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 10.6 प्रतिशत से बढ़कर 2017-23 के दौरान 11.5 प्रतिशत हो गई हैं।
Finance and financial intermediaries play a key role in facilitating investments in innovation and education, lowering transaction costs and managing risks, thereby accelerating the growth process – Dr Michael D Patra, Deputy Governor, @RBI during the session on 'The Role of the… pic.twitter.com/PhDD0p5uri
— Confederation of Indian Industry (@FollowCII) September 3, 2024
https://platform.twitter.com/widgets.jsउन्होंने कहा कि महामारी के बाद के वर्षों में उनकी भौतिक बचत भी जीडीपी के 12 प्रतिशत से अधिक हो गई है और आगे भी बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि 2010-11 में ये आंकड़ा सकल घरेलू उत्पाद के 16 प्रतिशत तक पहुंच गया था।
आरबीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐसे में आने वाले दशकों में घरेलू क्षेत्र बाकी अर्थव्यवस्था के लिए शीर्ष शुद्ध ऋणदाता बना रहेगा। (भाषा)