क्या आपके भी सपने बड़े हैं?


क्या आप भी दौलत, शोहरत, इज़्ज़त और सफलता की ऊँचाइयों को छूना चाहते हैं?
क्या आप भी अपने माता-पिता का नाम रौशन करना चाहते हैं?
अगर हाँ… तो एक सवाल खुद से पूछिए —
क्या आप वाकई इसके लिए तैयार हैं, या सिर्फ खुद को दिलासा दे रहे हैं?
क्योंकि सिर्फ सोचना काफी नहीं है।
सिर्फ ये कहना कि ‘एक दिन मैं बड़ा बनूंगा’, आपको मंज़िल तक नहीं पहुंचाएगा।
सफलता के लिए आपको क्या छोड़ना होगा?
आराम
टाइमपास
मोबाइल की लत
फ़ालतू दोस्त
दिखावे का प्यार
और सबसे ज़रूरी — अपना कम्फर्ट ज़ोन
आपको हर उस चीज़ से बाहर निकलना होगा जो आपको आपके लक्ष्य से दूर करती है।
आपको खुद से वादा करना होगा —
‘अब मैं सिर्फ अपने लक्ष्य पर फोकस करूंगा।’

अब भी समय है!
आपकी उम्र चाहे 25 हो या  45—
अभी भी आपके पास वक्त है खुद को बदलने का, कुछ बड़ा करने का।
आज से ही शुरुआत कीजिए।
अपने अगले 100 दिन निर्धारित कीजिए:
लक्ष्य:
1 लाख प्रति माह कमाने का सिस्टम तैयार करना
करियर को सही दिशा देना
खुद को इतना मजबूत बनाना कि कोई आपको नजरअंदाज़ न कर सके
अपने आने वाले 365 दिन को 4 चरणों में बाँटिए:
1. पहले 65 दिन –
सिर्फ सीखने में लगाइए। नई स्किल्स सीखिए, खुद को अपडेट कीजिए।
2. अगले 100 दिन –
कमाई की दिशा में काम कीजिए। पहला टारगेट सेट कीजिए — 1 लाख प्रति माह।
2. फिर अगले 100 दिन –
अगर पिछली बार चूके तो अब और फोकस के साथ उस टारगेट को हासिल कीजिए।
4. आखिरी 100 दिन –
दो गुना लक्ष्य बनाइए — 2 लाख प्रति माह। खुद को रोकने मत दीजिए।

मैं कौन हूँ?
मेरा नाम विनायक अशोक लुनिया है।
मैं एक साधारण परिवार से हूँ, लेकिन सपने असाधारण थे।
मैं आज एक ग्रुप ऑफ कंपनीज़ का चेयरमैन हूँ और ९८ज्ञ् शेयर होल्डर।
लेकिन…
12 जून 2023 को मेरी ज़िंदगी पलट गई —
ब्रेन स्ट्रोक और लकवा (पैरालिसिस) का अटैक हुआ।
शरीर भी थम गया और जेब भी खाली हो गई।
8 महीने तक मेरे पास पैसे नहीं थे।
लेकिन मैं रुका नहीं…
मेरे जज़्बे, मेहनत और दृढ़ संकल्प ने मुझे जीरो से उठाकर यहाँ तक पहुँचाया।
आज मेरी कंपनी के साथ देश-विदेश में 19 ब्रांड काम कर रहे हैं।
1 लाख + खुश ग्राहक,
1765 युवा मेरी टीम का हिस्सा हैं।
मेरी वर्तमान आय: 20000 प्रतिदिन
मैंने पिछले 200 दिनों में अपने लक्ष्य का  20% हासिल कर लिया है।
अब मेरा अगला लक्ष्य है —
5 लाख प्रतिदिन की कमाई – अगले 100 दिनों में।
मेरी टीम =  मेरा परिवार
मेरे लिए मेरे कर्मचारी सिर्फ ‘वर्कर’ नहीं, परिवार हैं।
मैंने संकल्प लिया है कि 31 मार्च 2026 तक
हर एक कर्मचारी को एक बेहतर, सम्मानजनक और समृद्ध जीवन दूँगा।
और जिस दिन मेरा हर कर्मचारी गर्व से कहेगा
‘मैं उस कंपनी का हिस्सा हूँ जो दुनिया की सबसे प्रेरणादायक कंपनी है!’
वो दिन मेरी ज़िंदगी का सबसे महान दिन होगा।
तो अब फैसला आपका है…
क्या आप सच में सफलता चाहते हैं?
या सिर्फ सपनों में जीना चाहते हैं?
आज से खुद से ईमानदार बनिए।
खुद से झूठ बोलना बंद कीजिए।
जो चीज़ें आपको रोकती हैं — उन्हें आज ही छोड़ दीजिए।
क्योंकि…
‘आपका कल कैसा होगा — ये आपके आज के निर्णय तय करेंगे।’
क्या आप तैयार हैं अपने सपनों को सच करने के लिए?
मैं कौन हूँ? एक आम इंसान या आग का दरिया पार करने वाला?
मेरा नाम विनायक अशोक लुनिया है।
हो सकता है आपने मेरा नाम गूगल पर ना खोजा हो… लेकिन अगर कभी करेंगे, तो पाएँगे कि मैं उस इंसान की मिसाल हूँ,
जो कई बार मरकर भी ज़िंदा हुआ है।
हाँ, सच में — मैं कई बार मरा हूँ…
कभी मौत के करीब जाकर वापस लौटा,
कभी अपनों के शब्दों से घायल हुआ,
कभी प्रेम में टूटा,
और कभी विश्वासघात ने मुझे भीतर से खा लिया।

वो घटनाएँ जिन्होंने मुझे तोड़ा — और फिर बनाया भी…
एक बार मेरी सगाई हुई, लेकिन मात्र 30 दिनों में ही मेरी हालत इतनी बिगड़ी कि ब्रेन स्ट्रोक और लकवा (पैरालिसिस) ने मुझे जकड़ लिया।
वो लड़की चली गई… समझौता कर लिया… और मैं टूटा नहीं, मजबूत बना।
दूसरी बार एक लड़की ने मुझे भरोसा दिलाया —
कि वो हमेशा साथ रहेगी,
मुझे प्रेरित किया, मेरा हौसला बना।
लेकिन जब मैं टूटने की कगार पर था,
उसने मुझे इतना गहरा धक्का दिया कि मैं २०वीं मंज़िल से गिरने जैसा महसूस करने लगा।
मैं ज़िंदा तो रहा — लेकिन अंदर से मर चुका था।

लेकिन मैंने समझ लिया
इस दुनिया में सिर्फ सच्चे इरादे और प्यार से कुछ नहीं होता।
यहाँ सब कुछ बिकता है —
चाहे रिश्ता हो, इज्जत हो, या प्यार…
अगर आपके पास पैसा है तो दुनिया आपको सलाम करती है,
वरना सवाल।
इसलिए मैंने ठान लिया:
‘अब इतना पैसा कमाना है कि किसी को कुछ देना पड़े तो अपने जेब से दिल से दे सकूं —
और अगर कोई मेरे पास आए तो मैं उसे नज़रें झुकाकर नहीं, गर्व से देख सकूं।’
अब मेरा मिशन क्या है?
दुनिया पर राज करने का सपना नहीं है।
मुझे बस इतना करना है कि
हर उस लड़की को शक्ति दूँ, जिसे दुनिया ने अबला कहा।
मैं उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होते देखना चाहता हूँ।
मैंने खुद से वादा किया है —
जब तक मैं इतना पैसा नहीं कमा लूँ कि
जिसे देखूं, उसका जीवन बदल सकूं, या फिर उसे सामान को खरीद सकूं
तब तक मैं अपने कम्फर्ट ज़ोन में नहीं लौटूंगा।
सच्ची बात यही है दोस्तों…
आज मेरी उम्र ३५ साल है।
मेरे पास केवल एक साल है — खुद को सफल बनाने के लिए।
मैंने शादी से भी किनारा किया —
लेकिन अब ठान लिया है,
जिस दिन कोई लड़की खुद मुझसे कहेगी कि ‘मैं तुम्हारे साथ हूँ’, उस दिन मैं उसके सम्मान में उसे अपना जीवन साथी बनाऊँगा।
और अब मैं आपसे पूछता हूँ…
क्या आप भी अपने सपनों से भाग रहे हैं?
क्या आप भी उस झूठ में जी रहे हैं —
कि ‘सब कुछ ठीक हो जाएगा’ —
बिना मेहनत, बिना त्याग, बिना आग के?

नहीं!
अगर आपको पैसा, इज्ज़त, प्यार, और सच्ची पहचान चाहिए —
तो आपको कम्फर्ट ज़ोन छोड़कर मैदान में उतरना ही होगा।
और याद रखिए —
आज पैसा भगवान से भी ऊपर है।
 भगवान एक बार देर से सुनेंगे… लेकिन
 पैसे वाले को दुनिया पहले सलाम करती है।
तो आज तय कीजिए —
क्या आप वही रहना चाहते हैं जो आज हैं?
या उस इंसान को बनाना चाहते हैं जो दुनिया को बदल दे?
निर्णय आपका है।
मैं तो बस वही इंसान हूँ जो दर्द से निखरा है
और अब इतिहास लिखने निकला है।
बस बताइए, अगला कदम क्या हो?
क्या आप तैयार हैं अपने सपनों की आग में तपने के लिए?


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