जैन साध्वी ज्ञानमती माताजी का संयम दिवस हर्षोल्लासपूर्वक मनाया गया
जीवन का शृंगार संयम से है
अयोध्या /ज्ञानप्रवाह न्यूज- भगवान ऋषभदेव दिगम्बर जैन मंदिर बडी मूर्ति रायगंज अयोध्या में जैन साध्वी भारतगौरव गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के ७३वें आर्यिका दीक्षा दिवस हर्षोल्लासपूर्वक मनाया गया। ७३ वर्ष पूर्व राजस्थान के माधोराजपुरा (जयपुर) ग्राम में आर्यिका दीक्षा आचार्य श्री वीरसागर जी महाराज से प्राप्त की थी उस समय आप प्रथम बाल ब्रह्मचारिणी कन्या के रूप में दीक्षा प्राप्त करने वाली प्रथम आर्यिका थी उससे पूर्व जो बहनें या माताएँ विधवा हो जाती थी या जिनकी बड़ी अवस्था हो जाती थी वे ही गृहत्याग करके इस मार्ग में आती थी लेकिन पूज्य गणिनी ज्ञानमती माताजी ने कुंवारी कन्याओं का मार्ग प्रशस्त किया एवं उनकी प्रेरणास्रोत बनीं।

सर्वप्रथम मन्दिर में विराजमान ३१फुट उत्तुंग भगवान ऋषभदेव का दूध व जल से मस्तकाभिषेक किया गया एवं भगवान के मस्तक पर महाशांतिधारा सम्पन्न की गई इस अवसर पर जैन धर्म के २३वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का गर्भकल्याणक के अवसर पर १०८ कलशों से भगवान पार्श्वनाथ का अभिषेक सम्पन्न किया गया एवं ७३वें आर्यिका दीक्षा दिवस के अवसर पर भगवान ऋषभदेव को ७३ फलों से सम्बन्धित थाल के माध्यम से अर्घ्य चढ़ाया गया इसी क्रम में भगवान पार्श्वनाथ को ७३ फलों से सम्बन्धि अर्घ्य समर्पण किया गया।
जैन मन्दिर के प्रवक्ता एवं मंत्री विजय कुमार ने बताया कि पूज्य माताजी वर्तमान में दिगम्बर जैन समाज के अन्दर १७५० साधु साध्वी विराजमान है उन सबमें सबसे प्राचीन दीक्षित ज्ञानमती माताजी जिन्होंने स्वकल्याण के साथ-साथ संस्कृति निर्माण का कार्य भी किया एवं संस्कृति को जीवित करने के लिए ५५० ग्रंथों का सर्जन अपनी लेखनी के द्वारा किया यह वर्तमान युग में जैन समाज के लिए बहुत बड़ी देन हैं। जिसका आंकलन आने वाले युग में समस्त संस्कृति करेगी, आज भी पूज्य माताजी का साहित्य सर्वलोकप्रिय है माताजी के द्वारा लिखित विधान आदि साल में ३६५ दिन पूरे देश में कहीं ना कहीं होते रहते हैं। पूज्य माताजी के संयम दिवस के अवसर पर ७३ अर्घ्यथाल के माध्यम से अर्घ्य समर्पण किया गया इसके पश्चात् पूज्य माताजी के चरण प्रक्षाल करने का सौभाग्य संघपति श्री अनिल कुमार जैन, प्रीत विहार-दिल्ली के द्वारा किया एवं भगवान पार्श्वनाथ के गर्भकल्याणक के अवसर पर रत्नवृष्टि करने का सौभाग्य गाँधी परिवार-पूना (महा.) ने प्राप्त किया।
शास्त्रभेंट करने का सौभाग्य संस्थान के यशस्वी एवं लोकप्रिय अध्यक्ष पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी ने किया, इस अवसर पर परमपूज्य प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी ने ज्ञान को उपकरण शास्त्र पूज्य माताजी को समर्पित किया एवं इसी शृंखला में श्रीमती कुमुदिनी जैन,श्रीमती कामिनी जैन श्री विजय कुमार जैन,डॉ.जीवन प्रकाश जैन, परमेन्द्र जैन, निधेश जैन,निकलंक जैन,अतुल जैन- टिवैतनगर एवं अरिंजय कुमार जैन दरियाबाद, जितेन्द्र जैन (लल्ला) ने प्राप्त किया।
इस अवसर पर नवीन पिच्छिका प्रदान का सौभाग्य देवेन्द्र कुमार जैन, राजेश कुमार जैन (राजू भईया) आनंद, अतिशय, रजत जैन-टिवैâतनगर वालों ने प्राप्त किया। इस अवसर पर पूज्य माताजी की महापूजा संघस्थ शिष्य, शिष्याओं के द्वारा सम्पन्न की गई। मध्याह्न में १०८ दीपकों के द्वारा पूज्य माताजी की महाआरती सम्पन्न की गई।