चांदी की हॉलमार्किंग अनिवार्य करने पर विचार, क्या होती है Hallmarking?


silver bricks
नई दिल्ली। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी ने सोमवार को कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) को उपभोक्ताओं की मांग के बाद चांदी (Silver) तथा चांदी के सामान के लिए 'हॉलमार्किंग' (hallmarking) अनिवार्य करने पर विचार करना चाहिए।

 

जोशी ने 78वें बीआईएस स्थापना दिवस समारोह में कहा कि चांदी की 'हॉलमार्किंग' के लिए उपभोक्ताओं की ओर से मांग है। आप (बीआईएस) इस पर विचार-विमर्श कर निर्णय ले सकते हैं।ALSO READ: Gold-Silver Price : नए साल के पहले दिन सोना हुआ मजबूत, चांदी ने भी दिखाया जलवा, जानिए क्‍या हैं भाव…

 

वर्तमान में केवल सोने के लिए 'हॉलमार्किंग' अनिवार्य : सरकार ने वर्तमान में केवल सोने के आभूषणों तथा अन्य सामान के लिए 'हॉलमार्किंग' अनिवार्य की है जिसका उद्देश्य उपभोक्ता हितों की रक्षा करना तथा उत्पाद की प्रामाणिकता सुनिश्चित करना है।ALSO READ: महाकाल मंदिर में 1 अरब 65 करोड़ का दान, पेटियों में 399 किलो चांदी और 1533 ग्राम सोने का चढ़ावा

 

मौजूदा 'हॉलमार्किंग' प्रणाली में 6 अंकीय 'अल्फान्यूमेरिक कोड' शामिल है, जो सोने की शुद्धता को प्रमाणित करता है। चांदी की 'हॉलमार्किंग' से भारत में बहुमूल्य धातुओं के गुणवत्ता नियंत्रण उपायों को बल मिलेगा।

 

क्या होती है Hallmarking? : हॉलमार्किंग का मतलब है कि किसी ज्वेलरी में इस्तेमाल होने वाली धातु, भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के तय मानकों के मुताबिक है। हॉलमार्किंग की वजह से सोने की शुद्धता के बारे में जानकारी मिलती है और आभूषणों में मिलावट रुकती है।

 

हॉलमार्किंग से जुड़ी कुछ और बातें : हॉलमार्किंग के जरिए खरीदारों को यह पता चलता है कि सोना लाइसेंस प्राप्त प्रयोगशालाओं में जांचा गया है। हॉलमार्किंग के जरिए सोने की मात्रा का प्रतिशत पता चलता है। इसे कैरेट में दर्शाया जाता है, जैसे 22 कैरेट का मतलब है कि उसमें 91.6 फ़ीसदी सोना है।

 

हॉलमार्क वाले आभूषणों पर एक 6 अंकों का अल्फान्यूमेरिक कोड होता है जिसे हॉलमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन (HUID) कहते हैं। हॉलमार्क वाले आभूषणों की जानकारी पाने के लिए उसका HUID नंबर बीआईएस के ऐप या वेबसाइट पर डालना होता है। हॉलमार्किंग के जरिए सोने के आभूषणों की पहचान करने में मदद मिलती है। भारत में सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग की व्यवस्था साल 2000 से लागू है। अब चांदी को भी इसी के दायरे में लिया जाएगा।

 

Edited by: Ravindra Gupta



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