महावीराचार्य पुरस्कार २०२४ समर्पण समारोह अयोध्या में हुआ सम्पन्न
गणिनीप्रमुख ज्ञानमती माताजी के सानिध्य में प्रो.पद्मावथम्मा को मिला पुरस्कार
अयोध्या / ज्ञानप्रवाह न्यूज,दि.०३/०९/ २०२४- भगवान ऋषभदेव दिगम्बर जैन मंदिर बडी मूर्ति रायगंज अयोध्या शाश्वत तीर्थ पर महावीराचार्य पुरस्कार २०२४ का समर्पण समारोह जैन समाज की सर्वोच्च साध्वी भारतगौरव गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के ससंघ सानिध्य में सम्पन्न किया गया ।
सर्वप्रथम कार्यक्रम का शुभारम्भ श्रीमती उषा पाटनी के मंगलाचरण के द्वारा हुआ। तत्पश्चात् प्रो.अनुपम जैन-इन्दौर ने कार्यक्रम की पृष्ठभूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इससे पूर्व तीन बार ये पुरस्कार देश के वरिष्ठ विद्वानों को यह पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।
डॉ.जैन ने बताया कि जैन गणित के ऊपर जिन विद्वानों ने शोध की है या इस विषय पर कोई विशेष कार्य किया है उनका चयन निर्णायक मण्डल के द्वारा करके यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार डॉ. अनुपम जैन के परिवार के द्वारा ही ५१०००/- रुपये की राशि प्रशस्ति पत्र व शॉल देकर के किया जाता है।
इस क्रम में ब्र.डॉ.सविता जैन शीतल तीर्थ रतलाम के द्वारा वक्तव्य दिया गया जिसमें उन्होंने संक्षिप्त रूप में पुरस्कार के संदर्भ में जानकारी प्रदान की,तत्पश्चात् प्रो. पद्मावथम्मा मैसूर को प्रशस्ति पत्र देकर के डॉ.अनुपम जैन,निशा जैन,पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामी जी,विजय कुमार जैन, डॉ.जीवन प्रकाश जैन, डॉ. संजीव सर्राफ, आयुष जैन-इन्दौर, अम्बुज जैन-इन्दौर के द्वारा शॉल पहनाकर के श्री दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान-जम्बूद्वीप हस्तिनापुर के पदाधिकारियों के द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर के सम्मानित किया गया।
प्रशस्ति का वाचन विद्ववत् महासंघ के महामंत्री श्री विजय कुमार ने किया एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पीठाधीश स्वस्ति श्री रवीन्द्रकीर्ति जी के द्वारा प्रशस्ति देकर प्रो. पद्मवथम्मा को महावीराचार्य पुरस्कार २०२४ से सम्मानित किया गया। प्रो. पदमवथम्मा ने जैन गणित के क्षेत्र में उत्कृष्ट अनुसंधान कार्य किया है जिसके लिए उन्हें सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्री विजय कुमार जैन जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर ने किया।
इस अवसर पर गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने जैन गणित के विषय में कहा कि गणित के द्वारा ही भूगोल एवं खगोल की गणना की जाती है। बिना गणित के कोई भी कार्य सम्भव नहीं है ।आज जैन गणित पर कार्य करनेवालों की अत्यन्त आवश्यकता है। भगवान ऋषभदेव ने युग की आदि में अपनी पुत्रियों को अंक विद्या सिखा करके इसी भूमि से अंकगणित का प्रतिपादन किया है।आज उसी भूमि पर एक महिला को महावीराचार्य पुरस्कार दिया जा रहा है यह अत्यन्तही गौरव की बात है।उनके लिए हमारा मंगल आशीर्वाद।
इसी शृंखला में प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी ने अपना मंगल आशीर्वाद कार्यक्रम में आए भक्तों के लिए प्रदान किया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथ प्रो.रेणु जैन कुलपति अहिल्यादेवी विश्वविद्यालय ने भी अपने वक्तव्य में जैन गणित के बारे में प्रकाश डालते हुए शीघ्र ही अहिल्यादेवी विश्वविद्यालय में गणित के विषय में अनेक कार्य सम्पन्न और उसके लिए सरकार के द्वारा अनेक योजनाएँ लागू हो रही हैं।
अयोध्या तीर्थक्षेत्र के अध्यक्ष पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में सभी विद्वानों का आभार प्रदर्शन किया एवं जैन गणित के क्षेत्र में जो भी कार्य हो रहे हैं उन सबकी प्रशंसा की एवं पुरस्कार प्राप्तकर्ता के लिए शुभकामनाएँ प्रेषित की।
अन्त में सम्पूर्ण कार्यक्रम में पधारे हुए विद्वानों का आभार प्रदर्षित करते हुए अम्बुज जैन-गुरुग्राम (हरियाणा) ने कहा कि दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर एवं डॉ.अनुपम जैन परिवार अलग-अलग नहीं है। हस्तिनापुर हमारा परिवार है बचपन से ही हम सबने हस्तिनापुर आने जाने का क्रम बना हुआ है। आज हमारे परिवार को ये गौरव प्राप्त हुआ पुरस्कार का समायोजन करने का ये हमारे लिए गर्व की बात है। इस अवसर पर हम सभी का आभार ज्ञापित करते है।