इससे तो अच्छा होता कि मैं मर जाता – मसूद अजहर
भारतीय सशस्त्र बलों के पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी शिविरों पर सटीक हमले
पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले, जिसमें 26 पर्यटक मारे गए थे, का कड़ा जवाब देते हुए भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकवादी शिविरों पर सटीक हमले किए हैं। हमलों का लक्ष्य पंजाब के बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) का मुख्यालय था, जो प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन का एक प्रमुख केंद्र है। यह हमला, जो ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा था, रात में किया गया और इसके परिणामस्वरूप कई महत्वपूर्ण स्थल नष्ट हो गए।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हमले में जैश प्रमुख मसूद अजहर के 10 परिवार के सदस्य और उसके चार करीबी सहयोगी मारे गए। बाद में खुद अज़हर ने मौत की पुष्टि की और गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा,मेरे परिवार के दस सदस्य और चार करीबी सहयोगी मारे गए। इससे तो अच्छा होता कि मैं मर जाता।
मृतकों में कथित तौर पर अजहर की बड़ी बहन, मौलाना कशफ साहब का पूरा परिवार, शहीद और मुफ्ती अब्दुल रऊफ के पोते, तथा अजहर की भतीजी बाजी सादिया के पति और बच्चे शामिल हैं। जैश-ए-मोहम्मद ने इन मौतों की पुष्टी की है और कहा है कि हवाई हमले में मारे गए लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। भारत सरकार ने कहा है कि यह कार्रवाई पहलगाम नरसंहार का सीधा बदला है, जिसमें कई पीड़ितों को उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले वादा किया था कि आतंकवादियों को उनकी भाषा में जवाब दिया जाएगा। उन्हें ऐसी सज़ा दी जाएगी जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। ऑपरेशन सिंदूर उस वादे की पूर्ति थी।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित वैश्विक आतंकवादी मसूद अजहर भारत के सर्वाधिक वांछित भगोड़ों में से एक है। 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान IC-814 के अपहरण के बाद बंधकों के बदले उसे रिहा कर दिया गया था। तब से, उसने भारतीय धरती पर कई बड़े हमलों की साजिश रची है, जिसमें 2001 में भारतीय संसद पर हमला, 2000 में जम्मू और कश्मीर विधानसभा पर बमबारी, 2016 में पठाणकोट एयरबेस पर हमला और 2019 में पुलवामा में आत्मघाती बम विस्फोट शामिल हैं। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण क्षण है।