Air Pollution : वायु प्रदूषण को लेकर कांग्रेस ने लगाया यह आरोप, सरकार से की यह मांग…

[ad_1]

Jairam Ramesh
Congress made this allegation on the government regarding air pollution : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर वायु प्रदूषण से निपटने में ‘खराब नीति-निर्माण’ का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने रविवार को मांग की कि आगामी केंद्रीय बजट में इस ‘गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट’ से निपटने के लिए देश के स्थानीय निकायों, राज्य सरकारों और केंद्र को संसाधन संपन्न बनाने का मार्ग प्रशस्त किया जाना चाहिए।

 

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि एक अध्ययन से पता चला है कि देश में होने वाली सभी मौतों में से 7.2 प्रतिशत वायु प्रदूषण से जुड़ी हैं और हर साल सिर्फ 10 शहरों में लगभग 34,000 लोगों की मौत इससे होती है।

 

उन्होंने एक बयान में कहा कि दिल्ली में ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट’ द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) का मूल्यांकन किया गया है और इस सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट को पैदा करने वाली नीतिगत अव्यवस्था को उजागर किया है।

 

रमेश ने कहा, एनसीएपी का वर्तमान बजट लगभग 10,500 करोड़ रुपए है- जो 131 शहरों में फैला हुआ है। इसमें 15वें वित्त आयोग का अनुदान भी शामिल है। इसलिए इस कार्यक्रम के लिए बहुत कम धन उपलब्ध है- और फिर भी, इस अल्प राशि में से केवल 64 फीसदी धन का ही इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि खराब नीति-निर्माण ने उपलब्ध संसाधनों को गलत दिशा में ले जाने का काम किया है।

ALSO READ: पीएम 2.5 वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा मौत दिल्ली में, क्या है 10 बड़े शहरों का हाल?

कांग्रेस नेता ने कहा कि एनसीएपी का प्रदर्शन मूल्यांकन और हस्तक्षेप- पीएम 10 (10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले कणों) पर अधिक केंद्रित है, बजाय पीएम 2.5 (2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास के कण) के, जो कहीं अधिक खतरनाक होते हैं।

 

रमेश ने बताया कि उपयोग किए गए कोष का 64 प्रतिशत हिस्सा सड़क की धूल को कम करने पर खर्च किया गया, जबकि उद्योगों (कोष का 0.61 फीसदी), वाहनों (कोष का 12.63 प्रतिशत) और बायोमास जलाने (कोष का 14-51 फीसदी) से होने वाले दहन-संबंधी उत्सर्जन को नियंत्रित करने पर इतनी राशि खर्च नहीं की गई।

 

उन्होंने कहा कि ये उत्सर्जन मानव स्वास्थ्य के लिए कहीं अधिक खतरनाक हैं। उन्होंने कहा कि एनसीएपी के अंतर्गत आने वाले 131 शहरों में से अधिकतर के पास वायु प्रदूषण संबंधी कोई आंकड़े नहीं हैं। रमेश ने कहा, कि जिन 46 शहरों के पास आंकड़े हैं, उनमें से केवल आठ शहर ही एनसीएपी के निम्न लक्ष्य को प्राप्त कर पाए हैं, जबकि 22 शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति और भी बदतर हो गई है।

ALSO READ: वायु प्रदूषण से दुनियाभर में 81 लाख लोगों की मौत, भारत में 21 लाख ने गंवाई जान

कांग्रेस महासचिव ने कहा, सरकार को आगे बढ़ने के लिए स्पष्ट कदम उठाने चाहिए। वायु प्रदूषण (नियंत्रण और रोकथाम) अधिनियम 1981 में अस्तित्व में आया, और राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (एनएएक्यूएस) को नवंबर 2009 में लागू किया गया। हालांकि पिछले दशक में वायु प्रदूषण के सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणाम अस्वस्थता और मृत्यु दर के संबंध में बहुत स्पष्ट हो गए हैं।

 

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि वायु प्रदूषण (नियंत्रण और रोकथाम) अधिनियम और एनएएक्यूएस पर पुनर्विचार किया जाए और उन्हें पूरी तरह से नया स्वरूप दिया जाए। उन्होंने कहा, हमारे शहरों को कम से कम 10-20 गुना अधिक धन की आवश्यकता है- एनसीएपी को 25,000 करोड़ रुपए का कार्यक्रम बनाया जाना चाहिए। एनसीएपी को प्रदर्शन के लिए पीएम 2.5 के स्तर को मापने का पैमाना बनाना चाहिए।

 

उन्होंने कहा कि एनसीएपी को उत्सर्जन के मुख्य स्रोतों पर नजर रखना चाहिए जिसमें ठोस ईंधन का जलना, वाहनों से होने वाला उत्सर्जन और औद्योगिक उत्सर्जन शामिल हैं। उन्होंने तर्क दिया, एनसीएपी को कानूनी समर्थन, एक प्रवर्तन तंत्र और हर भारतीय शहर के लिए गंभीर डेटा निगरानी क्षमता दी जानी चाहिए।

ALSO READ: चीन और भारत में हुई वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा मौतें

उन्होंने कहा, कोयला बिजली संयंत्रों के लिए वायु प्रदूषण मानदंड तुरंत लागू किए जाने चाहिए। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री रह चुके रमेश ने मांग की कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्वतंत्रता बहाल की जानी चाहिए और पिछले 10 वर्षों में किए गए जनविरोधी पर्यावरण कानून संशोधनों को वापस लिया जाना चाहिए।

ALSO READ: वायु प्रदूषण बिगाड़ रहा मानसिक स्वास्‍थ्य, बढ़ रही है उदासी

उन्होंने कहा, आगामी केंद्रीय बजट में देश के स्थानीय निकायों, राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को इस गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए संसाधन और उपकरण उपलब्ध कराने का मार्ग प्रशस्त किया जाना चाहिए। अपने बयान साझा करते हुए रमेश ने ‘एक्स’ पर कहा, भारत का वायु प्रदूषण संकट नीतिगत विफलता का परिणाम है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Back To Top