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Gonda train accident : उत्तर प्रदेश के गोंडा में चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के पटरी से उतरने की घटना की शुरुआती जांच रिपोर्ट आ गई है। वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों की 5 सदस्य टीम ने रेल ट्रैक की मरम्मत में लापरवाही और पटरी का ठीक से कसे न होने को दुर्घटना का जिम्मेदार ठहराया है। ALSO READ: रेलवे का दावा, गोंडा में हादसे से पहले सुनी गई धमाके की आवाज
रिपोर्ट में ट्रेन के लोको पायलट के हवाले से कहा गया है कि जब उसे एक तेज कंपन और खड़-खड़ की आवाज महसूस हुई। इसके बाद ट्रेन के डिब्बे पटरियों से उतर गए। इस दर्दनाक हादसे में 4 लोग मारे गए थे।
रिपोर्ट में दावा किया गया कि दोपहर डेढ़ बजे पटरी पर गड़बड़ी मिली। स्टेशन मास्टर मोतीगंज को दोपहर ढाई बजे कॉशन मेमो दिया गया। सेक्शन पर ट्रेन को 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलाना था। जब लोको पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाया तब ट्रेन की रफ्तार करीब 86 किलोमीटर प्रति घंटा थी और ट्रेन 400 मीटर दूर जाकर रुकी। तब तक 19 बोगियां पटरी से उतर चुकी थी। ALSO READ: गोंडा ट्रेन हादसे का आंखों देखा हाल, पटरी के पास सामान बिखरा पड़ा था, बदहवास लोग अपनों को ढूंढ रहे थे
जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में हादसे के लिए रेल ट्रेक जिम्मेदार ठहराया गया। रेल ट्रैक को अच्छी तरह कसा नहीं किया गया था और यह ठीक से काम नहीं कर रहा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंजीनियरिंग विभाग को सावधानी आदेश प्राप्त होने तक ट्रैक की सुरक्षा करनी चाहिए थी, इसलिए वे दुर्घटना के लिए जिम्मेदार हैं।
Edited by : Nrapendra Gupta
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