राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण एवं विनियमन विधेयक 2025 : केवल कोचिंग सेंटरों को संरक्षण देने वाला बिल, आत्महत्या पर किसी को कोई सजा का प्रावधान नहीं
4 किश्तों फीस चुकाने, बीच में पढ़ाई छोड़ने पर फीस रिफंड करने का फैसला स्वागत योग्य, किंतु फीस निर्धारित कैसे होगा, फीस कितनी होगी – अभिषेक जैन बिट्टू
अब तक जितनी भी आत्महत्याएं हुई है सभी में सरकार, प्रशासन और संचालक ने अभिभावक को आरोपी ठहराया है, अगर अभिभावक दोषी है तो विधेयक में सजा का प्रावधान क्यों नहीं – संयुक्त अभिभावक संघ
कोचिंग नियंत्रण विधेयक कोचिंग सेंटर अभिभावकों को लूटेंगे और सरकार, प्रशासन कोचिंग सेंटरों को लूटेंगे, जिसमें जितनी ताकत है दिल लगाकर लुट
जयपुर /ज्ञानप्रवाह न्युज,दिनांक 20 मार्च 2025। बुधवार को राजस्थान विधानसभा के पटल पर उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने प्रदेश के कोचिंग सेंटरों को नियंत्रण में लेने के लिए विधेयक पेश किया, इस के पेश होने के साथ ही प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है कि यह विधेयक ” केवल कोचिंग सेंटरों को नियंत्रण में लेने के लिए है या फिर विगत कई वर्षों से कोचिंग सेंटरों में पढ़ रहे विद्यार्थियों के बढ़ते आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए है। इस विधेयक का संयुक्त अभिभावक संघ ने पूरी मुखरता के साथ विरोध दर्ज करवाते हुए कहा कि यह विधेयक केवल लूटने के लिए बनाया गया है, इस विधेयक में ना विद्यार्थियों की सुरक्षा नजर आ रही है ना अभिभावकों की चिंताओं का समाधान निकल रहा है, यहां तक कि अब तक जितने भी आत्महत्याओं के मामले सामने आए है उन मामलों को रोकने के लिए आरोपियों पर सजा का कोई प्रावधान किया गया है, अभी तक आत्महत्याओं के मामले में जहां अभिभावकों को दोषी ठहरा जाता था उन तक पर सजा का कोई प्रावधान नहीं किया गया है, यह विधेयक स्पष्ट बता है कि कोचिंग सेंटर अभिभावकों को अपनी मनमानी अनुसार लूटेंगे और सरकार व प्रशासन इन पर नियंत्रण और रजिस्ट्रीकरण के नाम कर कोचिंग सेंटरों को लूटेंगे, जिसका भार केवल और केवल अभिभावकों पर पड़ता दिखाई दे रहा है।

संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि इस विधेयक को बनाने का एक मात्र मकसद विद्यार्थियों में बढ़ते आत्महत्या के चलन को रोकने को लेकर था किंतु राज्य सरकार ने आत्महत्याओं को रोकने के लिए इस विधेयक में कोई प्रावधान नहीं रखे बल्कि आत्महत्याओं के आंकड़ों को छुपाने के लिए और कोचिंग सेंटरों पर नियंत्रण का दिखावा करने को लेकर रजिस्ट्रीकरण का खेल इसमें शामिल कर दिया, जिसका अधिकतर तो क्या पूरा ही भार अभिभावकों पर पड़ता हुआ साफ दिखाई दे रहा है। यह विधेयक बड़े कोचिंग सेंटर चलाने वाले ग्रुप्स के दबाव में बनाया गया विधेयक है जिसमें केवल कोचिंग सेंटर संचालकों को संरक्षण की स्पष्टता स्पष्ट दिखाई देती है, विद्यार्थी की आत्महत्या पर किसी भी आरोपी पर सजा का कोई प्रावधान इस विधेयक में शामिल नहीं किया गया।
अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि इस विधेयक में अभिभावकों को इतनी राहत अवश्य उपलब्ध करवाई गई है कि इसके लागू होने के बाद किसी को भी अब पूरा पैसा एक बार में जमा ना करवाकर 4 किश्तों में जमा करवाने का प्रावधान डाला गया है साथ ही जो विद्यार्थी बीच में पढ़ाई छोड़ देते है उनको 10 दिनों में पैसा रिफंड करने का प्रावधान भी शामिल किया गया है किंतु इस विधेयक में यह नहीं डाला गया कि आखिरकार कोचिंग सेंटरों की मनमानी फीस का निर्धारण कैसे किया जाएगा, कोचिंग सेंटरों की फीस कितनी होगी यह भी इस विधेयक में नहीं डाला गया है। साथ ही इस विधेयक में सामूहिक काउंसिलिंग को भी शामिल नहीं किया गया है जिसकी सबसे अधिक आवश्यकता है, क्योंकि अभी तक जितने भी विद्यार्थियों ने आत्महत्या की है उन सभी में जिम्मेदार केवल अभिभावक को माना गया है, अगर अभिभावक दोषी है तो उनकी काउंसिलिंग को प्रमुखता क्यों नहीं दी गई, अगर राज्य सरकार विद्यार्थी की आत्महत्या के मामले को रोकना चाहती है तो इस विधेयक में सामूहिक काउंसिलिंग को प्रमुखता देनी चाहिए और इस काउंसलिंग को कोचिंग सेंटर के स्तर पर कानून की जानकारी रखने वाले वर्तमान या पूर्व अधिकारियों की अध्यक्षता संबंधित विभाग के अधिकारी, पुलिस प्रशासन, कोचिंग संचालक, शिक्षक, अभिभावक और विद्यार्थियों की सामूहिक काउंसिलिंग को प्रमुखता देनी चाहिए, जिससे आत्महत्या बढ़ते चलन को ना केवल खत्म किया जा रहे है बल्कि आपसी संवाद प्रथा के माध्यम से सभी को एक दूसरे से जोड़ा जा सके।
जैन ने कहा कि पेपर लीक भी एक गंभीर मामला है, लीक मामले में पहले भी देखा गया है कि कई कोचिंग सेंटरों के नाम सामने आए है किंतु उपयोगी कार्यवाही और सख्त सजा के अभाव में उन कोचिंग सेंटरों पर लगाम नहीं लग पाई है अब जब सरकार विधेयक लेकर आई है तो उन कोचिंग सेंटरों पर लगाम लगाने का कोई प्रावधान नहीं किया गया जो बेहद जरूरी है, पेपर लीक का मामला हो या विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ करने का मामला हो या फिर अभिभावकों पर मनमानी करने का मामला हो इन सभी मामलों पर कोचिंग सेंटरों को अवसर देना का कोई औचित्य नहीं है प्रथम दृष्टया कार्यवाही करने हुए ना केवल रजिस्ट्रीकरण रद्द करना चाहिए बल्कि सजा का प्रावधान भी शामिल करना चाहिए। बुधवार को जो विधेयक पेश किया है उसको समझने के बाद यह तो स्पष्ट हो गया है कि ” कोचिंग सेंटर अभिभावकों को लूटेंगे और सरकार व प्रशासन कोचिंग सेंटरों को लूटेंगे, जिसमें जितनी ताकत होगी वह दिल लगाकर खुलेआम लूटेगा क्योंकि इस विधेयक में किसी को सजा का कोई प्रावधान ही शमीम नहीं किया गया।