होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम, भद्राकाल और चंद्रग्रहण का साया, पूजा का शुभ मुहूर्त


Holika Dahan 2025: हिंदू पंचांग अनुसार 13 मार्च 2025 गुरुवार को होलिका दहन होगा और 14 मार्च शुक्रवार को धुलेंडी रहेगी। इस बार 13 मार्च को भद्राकाल भी रहेगा और 14 मार्च को होली के दिन चंद्र ग्रहण का साया रहेगा। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि कब करें होलिका की पूजा व दहन और कब मनाएं होली का त्योहार।ALSO READ: होलिका दहन वाले दिन भूल कर भी न करें ये काम, जानिए क्या करने से मिलेगा भाग्य का साथ

 

होलिका दहन पर भद्रा का विचार: 

1. शास्त्रों के अनुसार भद्रा तीन लोक में विचरण करती है- पाताल लोक, धरती लोक और आकाश लोक। 

2. वर्तमान में 13 मार्च को भद्रा का वास धरती पर रहेगा। 

3. कहते हैं कि जब भद्रा धरती वासा हो तब पर्व त्योहारों पर नियमों का पालन करना चाहिए। 

4. शास्त्र के अनुसार होलिका दहन के दिन भ्रदा के पूंछ काल में पूजा कर सकते हैं और भद्रा की समाप्ति के बाद होलिका दहन कर सकते हैं। 

5. दिल्ली टाइम के अनुसार भद्रा का पूंछ काल शाम को 06:57 से रात्रि 08:14 तक रहेगा और इसका मुख काल रात्रि 08:14 से रात्रि 10:22 तक रहेगा।

6. उपरोक्त मान से शाम को 7:30 से रात्रि 08:00 के बीच होलिका की पूजा कर सकते हैं। यही सही मुहूर्त है।

7. होलिका की पूजा के बाद रात्रि को 10:44 के बाद होलिका दहन का मुहूर्त है। 

8. हालांकि कुछ ज्योतिष कह रहे हैं कि भद्राकाल पूर्णत: मध्यरात्रि 11:26 पर समाप्त होगी इसलिए मध्यरात्रि 11:26 से से 12:30 के बीच होलिका दहन करें।ALSO READ: होलिका दहन की रात को करें ये 5 अचूक उपाय, पूरा वर्ष रहेगा सुखमय

दिल्ली टाइम अनुसार पूर्णिमा तिथि का समय:-

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 13 मार्च 2025 को सुबह 10:35 बजे से प्रारंभ।

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 14 मार्च 2025 को दोपहर 12:23 बजे समाप्त।

 

धुलेंडी या होली पर चंद्र ग्रहण का विचार:

1. भारतीय समयानुसार 14 मार्च 2025 को सुबह 10:41 बजे से दोपहर 02:18 बजे तक चंद्र ग्रहण रहेगा। 

2. हालांकि इसकी उपछाया की शुरुआत 09:29 बजे से ही हो जाएगी यह पूर्णत: 03:29 बजे समाप्त हो जाएगा। 

3. होली पर चंद्र ग्रहण और सूतककाल का कोई प्रभाव नहीं रहेगा क्योंकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा। 

4. इसलिए धुलेंडी का पर्व पूर्णिमा तिथि की समाप्ति के बाद मनाया जा सकता है।



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