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Asaduddin Owaisi's statement on Kavad Yatra route issue : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित ढाबों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के लिए जारी किए गए परामर्श को लेकर भाजपा नीत उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस संबंध में लिखित आदेश जारी करने की चुनौती दी।
हैदराबाद के सांसद ने इसे स्पष्ट रूप से ‘भेदभावपूर्ण’ आदेश करार दिया और आरोप लगाया कि यह दर्शाता है कि सरकार उत्तर प्रदेश और पूरे देश में मुसलमानों को ‘दूसरे दर्जे’ का नागरिक बनाना चाहती है। ओवैसी ने कहा, हम इसकी (मौखिक आदेश की) निंदा करते हैं। यह संविधान के अनुच्छेद 17 का उल्लंघन है, जिसमें अस्पृश्यता की बात कही गई है।
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ओवैसी ने कहा, उत्तर प्रदेश सरकार अस्पृश्यता को बढ़ावा दे रही है। आदेश दिए जाने के बाद से मुजफ्फरनगर में ढाबों के मालिकों ने मुस्लिम कर्मचारियों को हटा दिया है। यह मुसलमानों के साथ स्पष्ट भेदभाव है। संविधान की भावना को ठेस पहुंचाई जा रही है। यह जीवन के अधिकार और आजीविका के अधिकार के खिलाफ है।
हिम्मत है तो लिखित आदेश जारी करें : एआईएमआईएम प्रमुख ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनौती दी कि अगर उनमें हिम्मत है तो वह इस पर लिखित आदेश जारी करें। भारतीय जनता पार्टी पर मुसलमानों के प्रति नफरत रखने का आरोप लगाते हुए ओवैसी ने दावा किया कि वे लगातार हिंदुत्व की विचारधारा को लागू कर रहे हैं और यह उनकी बड़ी ‘योजना’ का कार्यान्वयन है। उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से हिंदुत्ववादी संगठन मुसलमानों के ‘सामाजिक बहिष्कार’ का आह्वान कर रहे हैं और अब यही उत्तर प्रदेश में हो रहा है।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पुलिस ने श्रद्धालुओं के बीच किसी भी ‘भ्रम’ से बचने के लिए कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी ढाबों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया है। विपक्षी दलों ने इस कदम को मुस्लिम व्यापारियों को निशाना बनाने के रूप में देखा है।
असम में मुस्लिम आबादी अब 40 प्रतिशत हो गई : असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की इस टिप्पणी पर कि असम में मुस्लिम आबादी अब 40 प्रतिशत हो गई है, ओवैसी ने उन्हें देश के शीर्ष पांच झूठ बोलने वालों में से एक बताया। ओवैसी ने कहा, असम के मुख्यमंत्री भारत के शीर्ष पांच झूठ बोलने वालों में से एक हैं। सच्चाई यह है कि 1951 में असम में मुस्लिम आबादी 24.68 प्रतिशत थी। वह झूठे हैं और असम के मुसलमानों से नफरत करते हैं।
ओवैसी ने कहा, 2001 में मुस्लिम आबादी 30.92 प्रतिशत थी और 2011 की जनगणना में यह 34.22 प्रतिशत थी। अब 2024 में यह 40 प्रतिशत हो सकती है, तो क्या हुआ? उनके झूठ के कारण पूरा प्रशासन मुसलमानों से नफरत कर रहा है। शर्मा ने बुधवार को कहा था कि जनसांख्यिकी परिवर्तन असम में एक बड़ा मुद्दा है।
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ओवैसी ने सवाल किया कि अगर असम में 40 प्रतिशत मुसलमान हैं तो इसमें असंवैधानिक क्या है? उन्होंने पूछा कि यह जीवन और मृत्यु का मामला कैसे बन गया है। उन्होंने कहा कि असम के मुख्यमंत्री को एक विशेष समुदाय से नफरत करने के लिए शर्म आनी चाहिए।
इस आबादी को लेकर इतने डरे हुए क्यों हैं : एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा, आप अल्पसंख्यकों को क्या संदेश दे रहे हैं? आप इस आबादी को लेकर इतने डरे हुए क्यों हैं? वे भारतीय हैं। राजनीतिक रूप से आपको हारना चाहिए और मुझे उम्मीद है कि आप असम में बुरी तरह हारेंगे और आपकी पार्टी असम में खत्म हो जाएगी। आपको 40 प्रतिशत मुसलमानों को निशाना बनाने का कोई अधिकार नहीं है।
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भाजपा के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा था कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ अनावश्यक है, इसके बजाय ‘हम उनके साथ जो हमारे साथ हैं’, होना चाहिए। अधिकारी के इस बयान पर ओवैसी ने कहा कि भाजपा नफरत व्यक्त कर रही है और अब उनकी नफरत खुले तौर पर सामने आ रही है।
मुसलमान देश के लिए खतरा हैं : ओवैसी ने कहा, यह भाजपा के नेता और मुख्यमंत्री हैं जो इस बकवास राजनीति में लिप्त हैं, जो खुलेआम सामाजिक बहिष्कार की बात कह रहे हैं और खुलेआम कह रहे हैं कि मुसलमान देश के लिए खतरा हैं और यह उनकी भेदभाव और घृणा की नीति दिखाता है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour
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