Mahakumbh 2025 : प्रयागराज महाकुंभ की अविस्मरणीय यात्रा, आस्था के ज्वार की आंखों देखी


prayagraj mahakumbh 2025

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kumbh mela prayagraj 2025 : महाशिवरात्रि के महास्नान के साथ ही महाकुंभ समाप्त हो जाएगा। एक नए रिकॉर्ड के साथ। प्रयागराज महाकुंभ में संगम और गंगा में डुबकी लगाने के लिए देश की करीब आधी आबादी पहुंची। कुंभ में व्यवस्थाओं और गंगा की शुद्धता को लेकर सवाल उठाए गए, लेकिन आस्था का सैलाब थमा नहीं। क्या बूढ़े, क्या बच्चे, क्या महिलाएं और पुरुष, सभी बस मां गंगा में एक डुबकी लगाना चाहते थे। भव्यता और दिव्यता प्रयागराज महाकुंभ में नजर आई। भगदड़ की घटना के बाद भी भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही थी। हालांकि हादसे के लिए सिर्फ सरकार, प्रशासन को नहीं कोसा जा सकता। अनुशासन और धैर्य रखना लोगों की भी जिम्मेदारी है। महाकुंभ में परेशानियों और चुनौतियों पर आस्था भारी दिखाई दी। श्रद्धालुओं का सैलाब देखकर जिम्मेदारों के हाथ-पैर भी फूले, लेकिन गंगा में डुबकी सिलसिला अनवरत चलता रहा। 

 

मैंने कुछ रिश्तेदारों के साथ 21 जनवरी को निजी वाहन से इंदौर से प्रयागराज के लिए प्रस्थान किया। 30 जनवरी की भगदड़ के बाद डर के साथ कई सवाल भी थे। किस तरह की व्यवस्था होगी? कितना पैदल चलना होगा? कहीं जाम में गाड़ी फंस गई तो क्या करेंगे? मध्यप्रदेश की सीमा को पार करने के बाद झांसी में ओवरब्रिज पर कुछ जाम जरूर मिला, मगर अधिकारी समझाइश के साथ लोगों को आगे बढ़ाते रहे। बेसब्र लोगों ने इस परेशानी को और बढ़ाया। पुलों, नदियों, ओवरब्रिज को पार करते हुए हम प्रयागराज पहुंच गए। 

 

प्रयागराज में वाहनों की लंबी लाइनें : सुबह प्रयागराज में थी। प्रयागराज जाने वाले मार्ग पर वाहनों की लंबी कतार। वाहन सड़क पर धीरे-धीरे रेंग रहे थे। हालांकि पुलिस अधिकारी वाहनों को धीरे-धीरे आगे बढ़ाते दिखाई दिए। स्थानीय लोगों को कोई परेशानी न हो इसका भी ध्यान रखा जा रहा था। निर्धारित पार्किंग में वाहनों को लगवाया जा रहा था। मेला क्षेत्र से करीब 20 किमी दूर लोगों को वाहनों को रोका गया ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न फैले। 

 

लोगों की परेशानी और मनमाने दाम : 30 जनवरी की मची भगदड़ के बाद मेला क्षेत्र में जबर्दस्त 'क्राउड मैनेजमेंट' दिखाई दिया। मेले तक जाने के लिए हाथ ठेला और ई-रिक्शा और बाइकर्स की सुविधा थी। हालांकि बाइकर्स के रेट आसमान छूने वाले थे। इससे लोगों में प्रशासन के प्रति नाराजगी नजर आई। ई-रिक्शा से संगम की ओर चले, लेकिन उसने करीब 10 से 15 किमी दूर छोड़ दिया।

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गंगा तट अभी भी दूर था। लोगों के हुजुम के साथ हम भी चल दिए, लेकिन यहां भी बैरिकेडिंग कर भीड़ को दूसरे रास्ते की ओर मोड़ा गया। व्यवस्थाओं को लेकर लोगों के मन में किसी तरह का सवाल नहीं था। 'गंगा मैया की जय, प्रयागराज की जय' के उद्घोष के साथ घाटों की ओर बढ़ रहे थे। भीड़ के साथ अरैल घाट पहुंचे। यहां का नजारा अद्‍भुत था। लोग गंगा में डुबकियां लगा रहे थे। यहां से संगम कुछ दूरी पर था। गंगा के जिस घाट पर देखो गंगा में डुबकी लगाते, आरती करते, दीप दान करते लोग ही नजर आ रहे थे। 

 

घाटों  की तुरंत सफाई : गंगा के घाटों पर सफाईकर्मी तैनात थे। जो बांस में लगी जालियों से श्रद्धालुओं द्वारा छोड़ी गई सामग्री को तुरंत फंसा लेते। इस तरह का अभियान पहली बार चलाया गया। घाटों पर भी अन्य कर्मी तैनात थे, जो लोगों को समझाइश दे रहे थे। श्रद्धालुओं का सैलाब गंगा में डुबकी लगा रहा था और पूजन भी कर रहा था। गंगा और संगम की डुबकी ने उन तमाम परेशानियों को भुला दिया, जो यहां तक पहुंचने में आईं। 

 

नजर आया मेजबानी का जज्बा : तमाम असुविधाओं के बावजूद देश-विदेश से आ रहे श्रद्धालुओं की मेजबानी करने की ललक प्रयागराजवासियों में भी नजर आई। स्थानीय लोगों ने बताया कि कि पूरी दुनिया में इस महाकुंभ से प्रयागराज का नाम हुआ है और यह सभी के लिए गर्व की बात है। कई लोगों ने बताया कि उनके यहां शादी समारोह था। भारी जाम की वजह से पड़ोसी तक कार्यक्रम में नहीं आ सके। लेकिन कोई बात नहीं। प्रयागराज में महाकुंभ अब 12 साल बाद ही आएगा और हम लोगों का फिर से  स्वागत कर सकेंगे। स्थानीय लोगों ने कहा कि यह सही है कि आस्था उन सभी श्रद्धालुओं को यहां ला रही है और हम सभी इसका सम्मान करते हैं।



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