महाकुंभ में क्या है भगवान् शंकर और माता पार्वती के विवाह से शाही बारात का संबंध, जानिए पौराणिक कहानी


Mahashivratri Special

Interesting facts about naga sadhu: महाकुंभ भारत का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाकुंभ में नागा साधुओं की शाही बारात का विशेष महत्व क्यों है? असल में महाकुंभ में नागा साधुओं की शाही बारात का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। पुराणों में इस शाही बारात का संबंध महादेव और समुद्र मंथन के साथ जुड़ा हुआ है। वेबदुनिया हिंदी में आई आज आपको बताते हैं इस बारात के पीछे की पौराणिक कथा।

 

शाही बारात का इतिहास

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव जब माता पार्वती से विवाह करने के लिए कैलाश से आए थे, तब उनकी बारात बहुत भव्य थी। इस बारात में देवी-देवता, गंधर्व, यक्ष, यक्षिणी, साधु-संत, तांत्रिक सभी शामिल थे।

जब भगवान शिव कैलाश लौटे तो नागा साधुओं ने शिव बारात का हिस्सा न बन पाने का दुख व्यक्त किया। भगवान शिव ने उन्हें वचन दिया कि उन्हें भी शाही बारात निकालने का मौका मिलेगा। इसी वचन के अनुसार, समुद्र मंथन के बाद जब पहला महाकुंभ हुआ, तब नागा साधुओं ने भगवान शिव की प्रेरणा से शाही बारात निकाली।

 

महाकुंभ में शाही बारात का महत्व

  • भगवान शिव का आशीर्वाद: ऐसा माना जाता है कि महाकुंभ में नागा साधुओं की शाही बारात देखने से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है।
  • धार्मिक महत्व: यह परंपरा हिंदू धर्म की एक प्राचीन परंपरा है और इसका धार्मिक महत्व है।
  • आध्यात्मिक अनुभव: नागा साधुओं की शाही बारात देखना एक आध्यात्मिक अनुभव होता है।

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शाही बारात की विशेषताएं

  • भव्य श्रृंगार: नागा साधु भस्म, रुद्राक्ष और फूलों से भव्य श्रृंगार करते हैं।
  • धार्मिक गीत: बारात में धार्मिक गीत गाए जाते हैं।
  • धार्मिक अनुष्ठान: बारात के दौरान कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

 

महाकुंभ में नागा साधुओं की शाही बारात एक ऐसी परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है। यह परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत का भी एक अहम हिस्सा है।


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