जम्मू-कश्मीर में बढ़ती आतंकी घटनाओं के बीच विधानसभा चुनाव कितनी बड़ी चुनौती ?

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jammu kashmir and ladakh

लोकसभा चुनाव के बाद अब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। चुनाव आयोग की टीम जम्मू-कश्मीर में परिस्थितियों का आंकलन कर रही है और चुनाव आयोग अगस्त में राज्य में चुनाव कराने की घोषणा कर सकता है। धारा 370 हटने के बाद यह पहला मौका होगा जब जम्मू-कश्मीर में चुनाव होगा। चुनाव आयोग के सामने जम्मू कश्मीर में शांति पूर्वक चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती से कम नहीं है। चुनाव आयोग की टीम सूबे में सुरक्षा व्यवस्था का आकलन करने के साथ कई अहम जानकारियां जुटाने में जुटी हुई है।  ALSO READ: जम्मू में दर्जनों आतंकियों की घुसपैठ, 8 जिलों में सर्च ऑपरेशन

जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच आतंकी घटनाओं में अचानक से तेजी आ गई है। आतंकियों के निशाने पर अब सुरक्षा बल है और आतंकियों के साथ मुठभेड़ में लगातात अफसर और जवान शहीद होते जा रहे है। पिछले 78 दिन में 11 बड़े हमले हो चुके है। आतंकियों के निशाने पर अब जम्मू संभाग के इलाके है।

बताया जा रहा है आतंकी जम्मू सेक्टर के डोडा और किश्तवाड जैसे इलाकों में अपना कब्जा जमाने की कोशिश कर रहे है। डोडा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में कैप्टन सहित 4 जवान शहीद होने के बाद अब सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल उठ रहे है। जम्मू में पिछले एक महीने में आतंकी हमलों में 12 जवान शहीद हो चुके है वहीं 9 नागरियों की मौत हो चुकी है। ALSO READ: जम्मू-कश्मीर में 7 माह में 6 आतंकी हमले, कांग्रेस ने मोदी सरकार से मांगा जवाब

उम्मीदवारों को सुरक्षा देना बड़ी चुनौती- राज्य में आतंकी घटनाओं में बेहतहाशा वृद्धि के बाद विधानसभा चुनाव करना चुनाव आयोग और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है। सबसे अधिक चुनौती उम्मीदवारों को सुरक्षा उपलब्ध कराना और चुनावी रैलियों के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करना है।

जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में जिस तरह से आतंकी घटनाएं बढ़ी हुई है, उसके बाद सुरक्षा प्रोटोकॉल को लेकरर नए सिरे से मंथन हो रहा है। राज्य में विधानसभा चुनाव कराने के लिए सुरक्षा बंदोबस्त को एक प्रोटोकाल है। जिसमें चुनावी मैदान में उतरे प्रत्येक प्रत्याशियों की सुरक्षा के लिए एक कंपनी लगाई जाती है। जिसमें 120 जवान होते है। जो प्रत्याशियों को घर से लेकर चुनाव प्रचार के दौरान सुरक्षा देते है। ऐसी स्थिति में यदि एक विधानसभा क्षेत्र से न्यूनतम 10 प्रत्याशी भी मैदान में होते है, तो एक ही विधानसभा में दस कंपनी को तैनाती देनी होती है।

चुनाव को लेकर सियासी दलों की तैयारी-जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच अब सियासी दलों ने भी अपनी तैयारियां शुरु कर दी है। सूबे से धारा 370 हटाने का श्रेय लेने वाली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने विधानसभा चुनाव में डबल इंजन की सरकार बनाने का दावा कर रहे है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अगली सरकार भाजपा की होगी।

रविंद्र रैना ने यह भी कहा कि हम चाहते हैं कि चुनाव आयोग जल्द से जल्द जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव का ऐलान करे। हमें विश्वास है कि जिस प्रकार लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की शानदार जीत हुई है, जम्मू कश्मीर में उसी प्रकार असेंबली इलेक्शन में भी भारतीय जनता पार्टी की शानदार जीत होगी। आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा, जम्मू कश्मीर में भी डबल इंजन सरकार हम बनाऐंगे।
 
वहीं नेशनल कॉफ्रेस और पीडीपी भी चुनावी तैयारी में जुटी है। नेशल कॉफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने आतंकी घटनाओं को लेकर अगर सरकार में साहस है तो चुनाव कराए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर साहस नहीं है और डरे हुए हैं तो बेशक से चुनाव मत कराइये, लेकिन अगर आपको हमारी पुलिस और सेना की ताकत दिखानी है, अगर हमारे शासकों में थोड़ा साहस है तो वे देश विरोधी इन ताकतों के आगे घुटने क्यों टेक रहे हैं। समय पर चुनाव करवाए जाने चाहिए और जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपनी सरकार खुद चुननी चाहिए।

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