rg kar case hearing : कोलकाता कांड पर फैसला, मां बोली- नहीं हुआ न्याय, पिता बोले- जारी रखेंगे लड़ाई, 17 लाख के मुआवजे से किया इंकार, पढ़िए हर अपडेट


kolkata doctors protest
rg kar case update :  पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित सरकारी आरजी कर (rg kar) मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में पिछले साल अगस्त में एक महिला चिकित्सक के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या के मामले में शनिवार को दोषी करार दिए गए संजय रॉय (sanjay roy) को सियालदह की अदालत ने सोमवार को आजीवन कारवास की सजा सुनाई। अदालत ने राज्य सरकार को मृत चिकित्सक के परिवार को 17 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया। हालांकि परिवार ने इसे लेने से इनकार कर दिया।

 

क्या कहा कोर्ट ने : न्यायाधीश दास ने कहा कि चूंकि पीड़िता की मौत उसके कार्यस्थल अस्पताल में ड्यूटी के दौरान हुई, इसलिए राज्य की यह जिम्मेदारी है कि वह चिकित्सक के परिवार को मुआवजा दे। मृत्यु के लिए 10 लाख रुपये और दुष्कर्म के लिए सात लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया जाता है।’ 

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फैसले से परिजन निराश : डॉक्टर के परिजन ने कहा कि वे दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि मामले की जांच अधूरे मन से की गई और अपराध में शामिल कई अन्य अपराधियों को बचा लिया गया। उन्होंने कहा कि वे न्याय के लिए ऊपरी अदालत में जाएंगे।

 

पिता बोले- लड़ाई जारी रखेंगे : मृत महिला चिकित्सक की मां ने पीटीआई से कहा कि हम स्तब्ध हैं। यह कैसे यह दुर्लभ से दुर्लभतम मामलों में नहीं है। ड्यूटी पर तैनात एक चिकित्सक को बलात्कार के बाद मार डाला गया। हम निराश हैं। इस अपराध के पीछे बड़ा षड़यंत्र था।” मृत चिकित्सक के पिता ने कहा कि वे तब तक अपनी लड़ाई जारी रखेंगे, जब तक कि अन्य सभी अपराधियों को भी सजा नहीं मिल जाती।

 

सियालदह की अदालत के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास ने शनिवार को रॉय को पिछले वर्ष नौ अगस्त को अस्पताल में स्नातकोत्तर प्रशिक्षु चिकित्सक के खिलाफ किये गए जघन्य अपराध के मामले में दोषी ठहराया था। इस घटना के बाद पूरे देश में अभूतपूर्व और लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन हुए थे।

Sanjay Roy

क्यों मृत्युदंड की सजा क्यों नहीं : न्यायाधीश दास ने कहा कि यह अपराध ‘‘दुर्लभ से दुर्लभतम’’ श्रेणी में नहीं आता, जिससे दोषी को मृत्युदंड दिया जा सके। रॉय को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64 (बलात्कार), 66 (मृत्यु का कारण बनने की सजा) और 103 (1) (हत्या) के तहत दोषी ठहराया गया था।

 

50000 का जुर्माना : न्यायाधीश ने कहा कि धारा 64 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा रही है और 50,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया जा रहा है। न्यायाधीश ने कहा कि जुर्माना अदा न करने पर पांच महीने अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। अदालत ने कहा कि धारा 103(1) के तहत रॉय को आजीवन कारावास और 50,000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई जाती है और जुर्माना नहीं देने पर उसे पांच महीने अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।

 

सीबीआई ने मांगा मृत्युदंड : न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि इसके अतिरिक्त धारा 66 के तहत भी उसे आजीवन कारावास की सजा दी जाती है। उन्होंने कहा कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। न्यायाधीश ने फैसले में कहा, ‘‘केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मृत्युदंड देने का अनुरोध किया। बचाव पक्ष के वकील ने अनुरोध किया है कि मृत्युदंड के बजाय कारावास की सजा दी जाए… यह अपराध दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता है।’’

 

हाईकोर्ट में अपील का अधिकार : न्यायाधीश ने रॉय से कहा कि उसे इस निर्णय के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय में अपील करने का अधिकार है और जरूरत पड़ने पर उसे कानूनी सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी। न्यायाधीश ने यह सजा दोषी के अंतिम बयान, बचाव पक्ष, पीड़िता के परिवार के वकील और सीबीआई की दलीलों को सुनने के बाद सुनाई। 

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संजय रॉय बोला मुझे फंसाया गया : इससे पहले, दिन में रॉय ने अदालत में दावा किया कि वह निर्दोष है और उसे ‘‘गलत तरीके से दोषी ठहराया गया है’’। रॉय ने मामले में सजा सुनाए जाने से पहले अदालत से कहा,‘‘मुझे फंसाया जा रहा है और मैंने कोई अपराध नहीं किया है। मैंने कुछ भी नहीं किया है और फिर भी मुझे दोषी ठहराया गया है।’’ अदालत में सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील और पीड़िता के माता-पिता के वकील ने इस अपराध को ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ करार देते हुए दोषी को अधिकतम सजा देने की अपील की। भाषा Edited by : Sudhir Sharma 



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