ट्रंप 2.0 और AI के इर्दगिर्द घूमेगा साल 2025, जानिए चुनौतियों से निपटने के लिए क्या है भारत की तैयारी


भू-राजनीतिक दबाव, निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका में नए सिरे से व्यापार युद्ध की संभावना, स्थिरता-आधारित अड़चनों में वृद्धि, प्रमुख क्षेत्रों में चीन की अत्यधिक क्षमता और कृत्रिम मेधा (AI) में तेजी से प्रगति जैसे कारक 2025 में वैश्विक व्यापार को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेंगे। भारत को अपनी एआई रणनीति को प्राथमिकता देने की जरूरत है। रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में संकट के कारण कई वर्षों के झटकों के बाद पूरे महाद्वीप के देश अपने अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं। विशेषज्ञों ने यह बात कही है।

 

उन्होंने कहा कि भारतीय निर्यातकों और आयातकों को इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अपनी एआई रणनीति को प्राथमिकता देने की जरूरत है, क्योंकि यह कारोबार लॉजिस्टिक और आपूर्ति शृंखला प्रबंधन को बदलने और व्यापार के पारंपरिक तरीकों को नया आकार देने की क्षमता रखता है।

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व्यापार विशेषज्ञ और हाईटेक गियर्स के चेयरमैन दीप कपूरिया ने कहा, एआई तेजी से भविष्य के व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में उभर रहा है। एआई-आधारित डिजिटल बदलाव न केवल सेवा व्यापार को बढ़ावा देगा, बल्कि यह वाहनों से लेकर रोबोटिक्स और उससे भी आगे व्यापार योग्य एआई-आधारित वस्तुओं की पूरी नई श्रेणियां भी बना सकता है।

 

उन्होंने कहा, हालांकि भू-राजनीतिक दबाव को ‘प्रभावित’ कर पाना निजी क्षेत्र की क्षमता से परे है, लेकिन विकासशील देशों के व्यवसायों को पर्यावरणीय और सामाजिक, दोनों तरह के स्थिरता मापदंडों और बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए संसाधनों का इस्तेमाल करने की जरूरत है।

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कपूरिया ने कहा, कंपनियों के लिए जीवीसी (वैश्विक मूल्य शृंखला) में एकीकृत होने के लिए स्थिरता संकेतकों का अनुपालन करना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यूरोपीय संघ (ईयू) के कॉर्पोरेट स्थिरता उचित जांच-परख संबंधी निर्देशों के तहत कानूनी रूप से आपूर्ति श्रृंखला को टिकाऊ बनाना जरूरी हो जाता है।

 

टेक्नोक्राफ्ट इंडस्ट्रीज के संस्थापक चेयरमैन एसके सराफ ने कहा कि घरेलू उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनने और अवसरों का लाभ उठाने के लिए नए युग की प्रौद्योगिकियों में भारी निवेश करना होगा। उन्होंने कहा, निर्यातकों को अमेरिका को निर्यात बढ़ाने के तरीके तलाशने होंगे, क्योंकि अमेरिका द्वारा चीनी वस्तुओं पर उच्च शुल्क लगाने से उनके लिए बड़ी संभावनाएं खुलेंगी।

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अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन जैसे देशों पर उच्च शुल्क लगाने की चेतावनी दी है। कपूरिया ने कहा कि अमेरिका का दृष्टिकोण जवाबी कार्रवाई को आमंत्रित करने वाला है, जो मिलकर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार तथा एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) प्रवाह में महत्वपूर्ण व्यवधान पैदा कर सकता है।

 

उन्होंने कहा, पहले कोविड-19 महामारी, उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में संकट के कारण कई वर्षों के झटकों के बाद पूरे महाद्वीप के देश अपने अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं। वे अपनी आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के अनुरूप नए साझेदारों के साथ जुड़ाव की संभावना तलाश रहे हैं।

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भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने कहा कि एक ऐसी प्रमाणित एजेंसी की जरूरत है जो घरेलू विनिर्माण में कॉर्बन उत्सर्जन को माप सके। कुमार ने कहा, हमने कुछ विदेशी एजेंसियों को इस दिशा में हमारे साथ काम करने को कहा है, क्योंकि ईयू के उपाय भारतीय निर्यातकों के लिए गंभीर मुद्दा पैदा करते हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour



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