एक देश एक शिक्षा मॉडल लागू करे केंद्र सरकार – संयुक्त अभिभावक संघ

एक देश एक शिक्षा मॉडल लागू करे केंद्र सरकार – संयुक्त अभिभावक संघ

गरीब अभिभावकों और छात्रों को सामान शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध करवाएं सरकार – अभिषेक जैन बिट्टू

जयपुर/ज्ञानप्रवाह न्यूज,दि.16 दिसंबर 2024। देश को आजादी मिले 77 वर्ष तो बीत चुके किंतु आजतक इन 77 वर्षों में अखण्ड भारत की कोरी कल्पना दिखाकर राजनीतिक दल सत्ता पर बैठ जाते है और अखंड भारत की मूलभूत सुविधाओं पर चर्चा तक नहीं करते है। आज देश की सबसे मूलभूत जरूरत शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था है। जिस पर विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा केवल भाषणबाजी ही देखने को मिलती है जिसका शिकार गरीब अभिभावक और छात्र हो रहे है जिसके चलते शिक्षा से वंचित हो रहे है। संयुक्त अभिभावक संघ ने शुक्रवार को एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव मंजूरी पर दी अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि यह राजनीतिक दलों के बेरोजगारों का सत्ता हथियाने का मात्र हथकंडा है इस प्रक्रिया से देश की जनता को ना कोई फायदा होगा और ना ही नुकसान होगा बल्कि राजनीति में शामिल बेरोजगारों को अवसर प्रदान करने का मौका होगा। अगर देश के शुभचिंतक होते तो देश के विकास के बारे में सोचते और शिक्षा और स्वास्थ्य पर एक कानून बनाते जिससे देश के प्रत्येक तबके को सहायता, समानता का अधिकार मिलती।

संयुक्त अभिभावक संघ केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील भी करता है और मांग भी करता है कि वह एक देश एक शिक्षा और एक देश एक स्वास्थ्य व्यवस्था का मॉडल जारी करे। जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में फैले माफियाओं,बिजनेस पर नकेल कसी जा सके।

संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि केंद्र सरकार की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह देश के प्रत्येक नागरिक को शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध करवाएं जिसमें अब तक कि सभी सरकारें पूरी तरह से फेल होती हुई नजर आई है। राजनीतिक दल भले ही एक देश एक चुनाव पर चर्चा कर रहे है किंतु उनको भी सोचना और विचार करना चाहिए कि देश की आधी आबादी से अधिक संख्या इस देश में गरीबी रेखा से बहुत नीचे है जिनको उभारने की सख्त आवश्यकता है। समान शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं पाना हर नागरिक का अधिकार है बावजूद इसके गरीब अभिभावकों और छात्रों को उनका यह अधिकार प्राप्त नहीं हो रहा है और ना ही यह व्यवस्था लागू की जा रही है। देश में चाहे राजनीतिक प्रतिनिधि हो या डॉक्टर,शिक्षक, वकील,जज,इंजीनियर,अधिकारी,क्लर्क, कर्मी,पत्रकार,आइपीएस,आईएएस, आरएएस सभी यह भूल जाते है कि वह भी एक अभिभावक (गार्जियन/संरक्षक) है उनके भी दोस्त, रिश्तेदार, परिचित इत्यादि है जिनको भी शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की जरूरत हो सकती है लेकिन फिर भी वह इन मूलभूत सुविधाओं पर चर्चा नहीं करते है। संयुक्त अभिभावक संघ केंद्र सरकार और सभी राजनीतिक दलों से मांग करता है कि वह एक देश एक शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था मॉडल पर ना केवल चर्चा करे बल्कि देश के प्रत्येक नागरिक को उनका अधिकार दिलवाने के लिए संघर्ष करे।

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