सॉफ्ट स्किल्स ट्रेनर बनें

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जॉब और करियर एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अच्छी नौकरियों के लिए सॉफ्ट स्किल्स का होना बहुत जरूरी है। अक्सर कई बार हम खबरों में पढ़ते हैं कि बहुत अच्छी डिग्री या डिप्लोमा होने के बावजूद कई युवाओं को जॉब नहीं मिलती। कई बार तो आईआईटी या कई और अच्छे इंस्टिट्यूट्स के स्टूडेंट्स को भी इंटरव्यूज में अच्छे सॉफ्ट स्किल्स न होने से करियर में अच्छा स्टॅार्ट नहीं मिलता।

 

ऐसे में अब यह बात साफ हो चुकी है कि किसी भी जॉब के लिए जरूरी तकनीकी कौशल के साथ हर कैंडिडेट की सॉफ्ट स्किल्स भी बहुत अच्छी होनी आवश्यक हैं। यही कारण है कि आजकल हर एजुकेशन इंस्टीट्यूट में स्टूडेंट्स को उनके रेगुलर कोर्सेस के साथ ही सॉफ्ट स्किल डेवलपमेंट पर भी खासा ध्यान दिया जाता है।

 

*अच्छे जॉब के लिए सॉफ्ट स्किल्स को जरूरी मानते हैं करियर एक्सपर्ट्स।

 

*बहुत अच्छी डिग्री होने पर भी नहीं मिलती जॉब।

 

*इंटरव्यूज में अच्छे सॉफ्ट स्किल्स न दिखा पाने से करियर में नहीं मिलता अच्छा स्टॅार्ट।

 

*जॉब के लिए जरूरी टेक्निकल कौशल के साथ सॉफ्ट स्किल्स अच्छी होनी जरूरी।

 

*सॉफ्ट स्किल ट्रेनर अच्छे जॉब्स के लिए प्रोफेशनल्स को करते हैं तैयार।

 

*सॉफ्ट स्किल्स ट्रेनर बनना एक शानदार करियर विकल्प।

 

ऐसे में अगर आप एक अच्छा करियर चाहते हैं तो सॉफ्ट स्किल ट्रेनर बनना बेहतरीन विकल्प हो सकता है। इससे आप न सिर्फ खुद एक अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हैं बल्कि दूसरों को भी अच्छे जॉब्स पाने के लिए उन्हें तैयार करने में मदद कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि सॉफ्ट स्किल्स ट्रेनर कैसे बन सकते हैं और इससे जुड़ा करियर कैसा हो सकता है-

 

जॉब नेचर

 

एक सॉफ्ट-स्किल ट्रेनर किसी संस्था में काम करने वाले लोगों में अलग-अलग तरह की क्षमताओं को बढ़ाने का प्रशिक्षण देते हैं। वे लोगों को किसी कंपनी में काम करने वाले प्रोफेशनल्स की पर्सनैलिटी का एनालिसिस करते हुए उनमें कम्युनिकेशन स्किल्स, कैपेसिटी बिल्डिंग, लीडरशिप स्किल्स, टीम बिल्डिंग स्किल, इमोशनल मैनेजमेंट, लर्निंग स्किल्स जैसे अनेक कौशल विकसित करने का काम करते हैं।

 

*एक सॉफ्ट-स्किल ट्रेनर लोगों में अलग-अलग तरह की क्षमताओं को बढ़ाने का प्रशिक्षण देते हैं।

 

*किसी ऑर्गेनाइजेशन में प्रोफेशनल्स की कैपेसिटी बिल्डिंग का काम करते हैं।

 

*कम्युनिकेशन स्किल्स से लेकर लीडरशिप स्किल्स और लर्निंग स्किल्स जैसे कौशल सिखाते हैं।

 

*सॉफ्ट-स्किल ट्रेनर्स ह्यूमन रिसोर्सेज को करते हैं डेवलप।

 

कुल मिलाकर जब भी कोई कंपनी नए लोगों को रिक्रूट करती है तो उसके इंस्टीट्यूशनल एनवायरनमेंट में लोग कैसे बेहतर आउटपुट दे सकें इसके लिए सॉफ्ट-स्किल ट्रेनर्स ह्यूमन रिसोर्स को डेवलप करने का काम करते हैं।

 

क्या होती हैं सॉफ्ट स्किल्स?

 

सॉफ्ट स्किल्स हमारे व्यक्तित्व का लक्षण और व्यवहार हैं। तकनीकी और कुछ विशिष्ट कार्यों से जुड़े हुए कौशल की ही तरह सॉफ्ट स्किल्स भी हर प्रोफेशनल में होना बहुत महत्वपूर्ण है। हालांकि जानकारों का मानना है कि सॉफ्ट स्किल्स किसी खास तरह के कौशल को नहीं दर्शाती हैं फिर भी अलग-अलग परिस्थितियों में किसी प्रोफेशनल व्यक्ति द्वारा प्रदर्शित व्यवहार को ये जरूर दर्शाती हैं।

 

दरअसल, सॉफ्ट स्किल्स किसी व्यक्ति में एक टीम के साथ काम करने सुनिश्चित करने से जुड़े हुए कौशलों को भी कहा जा सकता है। सरल शब्दों में समझें तो सॉफ्ट स्किल्स में लोगों के सामाजिक संयोजन, संचार कौशल, उनके व्यक्तित्व की विशेषताएं, दृष्टिकोण, भावनात्मक संवेगों का प्रबंध, विपरीत परिस्थितियों में नेतृत्व क्षमता के साथ ही टीम भावना जैसे अनेक गुणों को सम्मिलित किया जाता है।

 

*सिर्फ कम्युनिकेशन स्किल्स ही नहीं होतीं सॉफ्ट स्किल्स।

 

*सॉफ्ट स्किल्स हैं पारस्परिक कौशल।

 

* सॉफ्ट स्किल्स हमें दूसरों के साथ कामकाज करने के लिए बनाती हैं बेहतर।

 

*सॉफ्ट स्किल्स में किसी व्यक्ति के अपने स्वाभाविक गुण के साथ टीम भावना, लर्निग, लिसनिंग, सहानुभूति के साथ नेतृत्व क्षमता भी शामिल।

 

*क्रिएटिव थिंकिंग और उत्साह  गंभीरता भी हैं सॉफ्ट स्किल्स। 

 

आमतौर पर यह समझा जाता है कि सॉफ्ट स्किल्स केवल कम्युनिकेशन से जुड़ी हुई हैं लेकिन ऐसा कतई नहीं है। इसमें व्यवहार से जुड़ी कई और भी विशिष्टताएं सम्मिलित होती हैं। किसी भी टीम के भीतर एक अच्छी नेतृत्व क्षमता वाला सदस्यों का होना आवश्यक होता है।

 

इससे न सिर्फ टीम अपने टॉस्क को बेहतर ढंग से पूरा कर पाती हैं बल्कि हर मेंबर को भी बहुत कुछ करने का मौका मिलता है। एक तरह से हर सदस्य को अपनी लीडरशिप दिखाने का अवसर मिलता है। इससे पूरे टॉस्क में बहुत परफैक्शन आता है।

 

नतीजा अगर कोई भी प्रोजेक्ट इस तरह से पूरा होता है तो आपकी संस्था का बिजनेस या कामकाज हमेशा अच्छा चलेगा और उसमें काम करने वालों के लिए ग्रोथ की संभावनाएं बनी रहेंगी। वहीं अगर टीम मेंबर्स के सॉफ्ट स्किल्स अच्छे नहीं होगें तो उनमें आपसी सामंजस्य बैठने में बहुत समस्या होगी जिससे पूरा प्रोजेक्ट अच्छे ढंग से नहीं किया जा सकता। हम अन्य लोगों से किस प्रकार के संबंध रखते हैं और उनसे किस तरह बातचीत करते हैं यह भी हमारे सॉफ्ट स्किल्स से तय होता है।

 

कई विशेषज्ञों का मानना है कि सॉफ्ट स्किल्स एक तरह से पारस्परिक कौशल है, जो हमें अन्य व्यक्तियों के साथ कामकाज करने के लिए बेहतर बनाता है। सॉफ्ट स्किल्स में सामान्य कौशल के सभी अलग-अलग पहलुओं को शामिल किया जा सकता है।

 

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि सॉफ्ट स्किल्स में किसी व्यक्ति के अपने स्वाभाविक गुण, टीम भावना, लर्निग याने सीखने की क्षमता, दूसरों को सुनना, सहानुभूति, उत्तरदायित्व, नेतृत्व क्षमता, क्रिएटिव थिंकिंग, उत्साह, गंभीरता सहित कई अन्य विशिष्टताएं शामिल हैं।

 

जुड़े हुए कोर्सेस

 

इन दिनों सॉफ्ट स्किल से जुड़े हुए कई विशिष्ट डिग्री या डिप्लोमा कोर्सेज मौजूद हैं। यूनिवर्सिटीज और ऑनलाइन प्लेटफॉम्स के साथ जुड़कर कई दूसरे संस्थान भी साफ्ट स्किल्स कोर्सेस करवा रहे हैं। लेकिन अगर आपको साफ्ट स्किल्स ट्रेनर बनना है तो इसके लिए कोई भी स्पेसिफिक कोर्स मौजूद नहीं है।

 

इसके लिए आपको मैनेमेंट, साइकोलॉजी, सोशियोलॉजी या फिर बीहेवियरल साइंस की डिग्री या डिप्लोमा करते वक्त इस तरह के विषयों से जुड़े कोई अतिरिक्त डिप्लोमा आदि प्रोग्राम करना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि साफ्ट स्किल्स ह्यूमन डेवलपमेंट और स्किल्स से जुड़े कौशल हैं। इसलिए एक ट्रेनर को पता होना चाहिए कि प्रोफेशनल वर्ल्ड को किस तरह के ह्यूमन रिर्सोसेज की जरूरत होती है। उनमें क्या दूसरे सब्जेक्ट्स के कौशल के साथ कौन-कौन सी सॉफ्ट स्किल्स चाहिए।

 

*सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग से जुड़े कोर्सेस कई यूनिवर्सिटीज और प्रोफेशनल डेवलपमेंट एजेंसीज में उपलब्ध।

 

*शॉर्ट और लॉन्ग टर्म दोनों तरह के कोर्सेज उपलब्ध।

 

*4 हफ्ते से लेकर सालभर तक के कोर्सेज में इंटरपर्सनल स्किल्स, स्ट्रेस मैनेजमेंट, कम्युनिकेशन स्किल्स और टीम लीडरशिप जैसे स्किल्स को सीख सकते हैं।

 

आज दुनियाभर की यूनिवर्सिटीज और प्रोफेशनल डेवलपमेंट एजेंसीज ऐसे अलग-अलग तरह के शॉर्ट और लॉन्ग टर्म कोर्सेज ऑफर करते हैं, जो आपको सॉफ्ट स्किल ट्रेनर बने में मददगार हो सकते हैं। इस तरह के कोर्सेज की अवधि 4 हफ्ते से लेकर सालभर तक की हो सकती है।

 

इनमें आप इंटरपर्सनल स्किल्स, क्रिएटिव थिंकिंग, लर्निंग टूल्स, पीपल्स स्किल, स्ट्रेस मैनेजमेंट, कम्युनिकेशन स्किल्स, ह्यूमन इंटरेक्शंस, वर्कप्लेस बिहेवियर, नेगोशिएशंस स्किल, टीम लीडरशिप जैसे स्किल्स को सीख सकते हैं।

 

योग्यताएं

 

सॉफ्ट स्किल्स ट्रेनर बनने से जुड़े किसी तरह के प्रोग्राम के लिए कोई विशिष्ट योग्यता की आवश्यकता नहीं है। लेकिन कई ऐसे सब्जेक्ट्स और उनके स्पेशलाइज्ड प्रोग्राम हैं जिनको करने के बाद आपके एक अच्छा सॉ्फ्ट स्किल्स ट्रेनर बन सकते हैं। अगर आप ग्रेजुएट हैं तो उसके बार कोई भी मैनेजमेंट के एक्जीक्यूटिव प्रोग्राम में एडमिशन ले लें। बिजनेस मैनेमेंट से जुड़े प्रोग्राम्स में बहुत सी प्रोफेशनल स्किल्स सिखाई जाती हैं। एक अच्छा बनने के लिए अगर आप इससे जुड़े किसी प्रोफेशनल प्रोग्राम में एडमिशन लेते हैं तो आपको कम से कम पोस्ट-ग्रेजुएट होना आवश्यक है।

 

कहां सीखें?

 

यूनिवर्सिटी आफ मिशीगन, येल यूनिवर्सिटी, लंदन यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ़ लीड्स, आईबीएम, डीप टीचिंग सॉल्यूशंस के साथ-साथ कोर्सरा तथा यूडेमी जैसे प्लेटफॉर्म भी इस तरह के कई कोर्सेज ऑफर करते हैं जो आपको सॉ्फ्ट स्किल्स ट्रेनर बनने में मददगार हो सकते हैं। इन संस्थानों में इस तरह के फील्ड से जुड़े कई शॉर्ट टर्म प्रोग्राम्स उपलब्ध हैं।

 

इसके साथ ही आप अच्छे मैनेजमेंट संस्थानों से एक्जिक्यूटिव प्रोग्राम्स भी कर सकते हैं। वहां भी आपको सॉफ्ट स्किल्स से जुड़ी कई अहम चीजें सीखने को मिलेंगी। बेहतर है कि आप मनोविज्ञान या सोशियोलॉजी जैसे सब्जेक्ट से पीजी कर लें और फिर बिजनेस मैनेजमेंट से जुड़ कोई एक्जिक्यूटिव प्रोग्राम करें।

 

ऐसा इसलिए क्योंकि आप लोगों को जॉब्स के लिए तैयार कर रहे हैं और उनके भीतर सॉफ्ट स्किल्स को डेवलप करेंगे तो आपके पास भी अच्छा अनुभव होना आवश्यक है। इसके लिए अच्छा है कि आप मार्केट में अच्छा रिसर्च करने के बाद अच्छे इंस्टिट्यूट से सॉफ्ट स्किल्स से जुड़ा कोई न कोई स्पेसिफिक प्रोग्राम जरूर करें।

 

कैसे करें शुरुआत?

 

आज के वैश्विक प्रतिस्पर्धा वाले क्षेत्र में नौकरियां और व्यवसाय जगत में सॉफ्ट स्किल्स सबसे महत्वपूर्ण कुशल माना जाता है। ऐसे में अगर आप सॉफ्ट स्किल्स ट्रेनर बनना चाहते हैं तो आपको इसकी तैयार बहुत बारीकी से करनी होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आप दूसरों को जॉब्स के लिए परफैक्ट बना रहे हैं तो आपके खुद के कंसेप्ट और सॉफ्ट स्किल्स बहुत अच्छे होना आवश्यक है।

 

इस फील्ड में एक्सपीरियंस बहुत मायने रखता है। आप तभी एक सक्सेसुल सॉफ्ट स्किल ट्रेनर बन सकते हैं जब आपका खुद का एक्सपोजर अच्छा होगा। इसके लिए शुरूआत में आप किसी कंपनी या इंस्टिट्यूट के साथ जुड़कर सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग से जुड़ा जॉब कर सकते हैं। अगर ऐसा कोई स्पेसिफिक जॉब न मिले तो आप कम्युनिकेशन स्किल डेवलपर जैसे जॉब से शुरूआत कर सकते हैं।

 

कैपेसिटी बिल्डिंग के फील्ड में काम करने वाले इंस्टिट्यूट्स के साथ जुड़कर काम करना भी अच्छा होगा क्योंकि वहां भी सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग सिखाई जाती है। सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग स्वरोजगार और रोजगार का बेहतरीन विकल्प है। कुल मिलाकर देखें तो इस फिल्म में बहुत स्कोप है।

 

आप फ्रीलांसर एक सॉफ्ट स्किल ट्रेनर के बतौर खुद का रोजगार भी स्थापित कर सकते हैं। आप सॉफ्ट स्किल डेवलपमेंट से जुड़ा कोई इंस्टिट्यूट खोल सकते हैं दूसरे इंस्टीट्यूशंस के साथ जुड़कर ऑनलाइन ऑफलाइन ट्रेंनिंग प्रोग्राम्स चला सकते हैं कंपनियां के साथ जुड़कर उनके लोगों के सॉफ्ट स्किल डेवलपमेंट का काम कर सकते हैं।

 

सैलरी और ग्रोथ

 

दुनियाभर में जॉब मार्केट पर नजर रखने वाली जानी-मानी कंपनी ग्लासडोर के अकड़े बताते हैं कि हमारे देश में एक सॉफ्ट स्किल ट्रेनर को शुरुआत में 20 से लेकर 35 हजार रुपए महीने तक की सैलेरी मिल जाती है। वहीं जॉब सर्च कंपनी इंडीड के आंकड़े भी बताते हैं कि हमारे देश में सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग से जुड़ी जॉब्स में शुरुआत में 30 से 35 हजार की सैलरी वाली जॉब मिल सकती है। सीनियर लेवल पर यह पैकेज बहुत अधिक बढ़ सकता है।

 

ग्लोबल मार्केट में भी इस सेक्टर में अच्छा पैकेज मिल सकता है। यूएएस में सॉफ्ट स्किल ट्रेनर्स को 40 से 65 हजार डॉलर सालाना की सैलरी का मिल सकती है। इस फील्ड में जैसे-जैसे आपका अनुभव बढ़ेगा उसके साथ ही सैलरी भी बढ़ती रहेगी। इस फील्ड का फ्यूचर स्कोप बहुत अधिक है। जैसे-जैसे हर फील्ड में कंपिटीशन बढ़ेगा उन लोगों को ही जॉब मार्केट में अच्छी अपॉर्चुनिटीज मिलेंगी जिनकी सॉफ्ट स्किल्स अच्छे होंगी। ऐसे में सॉफ्ट स्किल ट्रेनर के लिए भविष्य में बहुत स्कोप है।

(इस लेख में व्यक्त विचार/ विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/ विश्लेषण 'वेबदुनिया' के नहीं हैं और 'वेबदुनिया' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेती है।)

Edited by: Ravindra Gupta

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