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केंद्र सरकार ने कहा है कि 2017-18 से वर्ष 2021-22 तक के 8 करोड़ से अधिक अवसर सृजित हुए हैं। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने कहा कि सितंबर, 2017 से मार्च, 2024 के बीच 6.2 करोड़ से अधिक अंशधारक कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से जुड़े हैं और राष्ट्रीय पेंशन योजना में शामिल होने वाले कर्मचारियों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि दर्ज की गई है।
मंत्रालय ने देश में रोजगार पर सिटीग्रुप की एक शोध रिपोर्ट का खंडन करते हुए कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार के पर्याप्त अवसर सृजित हो रहे हैं और यह कोविड काल में मजबूती से टिकी रही है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध नहीं करा रही है और सात प्रतिशत की विकास दर के साथ यह स्थिति बनी रहेगी। मंत्रालय ने कहा कि यह रिपोर्ट सभी तथ्यों का विश्लेषण नहीं करती है और अधूरे तथ्यों के साथ निष्कर्ष पर पहुंचती है।
मंत्रालय ने आंकड़ों के हवालों से कहा है कि पिछले 5 वर्षों के दौरान श्रम बल में शामिल होने वाले लोगों की संख्या की तुलना में अधिक रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं, जिसके परिणामस्वरूप बेरोजगारी दर में लगातार कमी आई है। यह रोजगार पर सरकारी नीतियों के सकारात्मक प्रभाव का एक स्पष्ट संकेत है। व्यापार सरलता में सुधार, कौशल विकास को बढ़ाने और सार्वजनिक तथा निजी दोनों क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के सरकारी प्रयासों से औपचारिक क्षेत्र के रोजगार को भी बढ़ावा मिल रहा है। ईपीएफओ के आंकड़ों से पता चलता है कि अधिक से अधिक श्रमिक औपचारिक नौकरियों में शामिल हो रहे हैं। 2023-24 के दौरान, 1.3 करोड़ से अधिक कर्मचारी ईपीएफओ में शामिल हुए। इसके अलावा पिछले साढ़े 6 वर्षों (सितंबर, 2017 से मार्च, 2024 तक) के दौरान 6.2 करोड़ से अधिक कर्मचारी ईपीएफओ में शामिल हुए हैं।
आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्र और राज्य सरकारों के तहत वर्ष 2023-24 के दौरान 7.75 लाख से अधिक नए कर्मचारी राष्ट्रीय पेंशन योजना में शामिल हुए हैं। भारतीय स्टाफिंग फेडरेशन के अनुसार लगभग साढे पांच करोड औपचारिक अनुबंध श्रमिकों को रोजगार मिला है। इसके अलावा प्रतिभा की कमी और श्रम गतिशीलता के कारण विनिर्माण, खुदरा, बैंकिंग में फ्रंटलाइन पर लगभग 30 प्रतिशत मांग पूरी नहीं की जा सकी है।
गिग इकॉनमी पर नीति आयोग की रिपोर्ट में प्लेटफ़ॉर्म कामगार में पर्याप्त वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। वर्ष 2029-30 तक 2.35 करोड़ तक रोजगार के अवसर सृजित होने की उम्मीद है। यह भारत में कुल आजीविका का 4.1 प्रतिशत होगा।
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