केवल फीस रिवीजन कमेटी ही नहीं बल्कि डीएमआरसी का भी गठन करवा स्कूल फीस एक्ट की पालना सुनिश्चित करवाएं शिक्षा विभाग – संयुक्त अभिभावक संघ

केवल फीस रिवीजन कमेटी ही नहीं बल्कि डीएमआरसी का भी गठन करवा स्कूल फीस एक्ट की पालना सुनिश्चित करवाएं शिक्षा विभाग – संयुक्त अभिभावक संघ

जयपुर/ज्ञानप्रवाह न्युज,दि.28 मई 2025। निजी स्कूलों की फीस मामले पर कानून बने 9 साल से अधिक का समय बीत चुका है, किंतु शिक्षा विभाग की लापरवाही और कानून की अनदेखी के चलते आज दिनांक तक प्रदेश स्तरीय रिवीजन कमेटी नहीं बनाई गई जिस पर ना केवल राजस्थान हाईकोर्ट सख्त है बल्कि संयुक्त अभिभावक संघ ने भी शिक्षा विभाग के इस कृत्य पर नाराजगी जाहिर की है, संघ ने कहा कि, शिक्षा विभाग हो या शिक्षा मंत्रालय दोनों निजी स्कूलों की कठपुतली बन खुद के बनाएं कानून की अवहेलना कर रहे है और इसकी सजा प्रदेश के 2 करोड़ से अधिक अभिभावक भुगतने पर मजबूर हो रहे है, अब जब राजस्थान हाइकोर्ट स्कूल फीस एक्ट मामले पर सख्त है और शिक्षा विभाग को तीन सप्ताह में फीस रिवीजन कमेटी गठित करने की चेतावनी दी है तो केवल रिवीजन कमेटी ही नहीं बल्कि लगे साथ डीएमआरसी का भी गठन करना चाहिए, वर्ष 2016-17 जब स्कूल फीस एक्ट कानून विधानसभा के पटल पर स्वीकृत हुआ था उस दौरान डीएमआरसी का गठन हुआ था उसके बाद पिछले 9 सालों में आजतक भी डीएमआरसी (डिस्ट्रिक लेवल फीस कमेटी) का गठन शिक्षा विभाग द्वारा नहीं किया गया है।

संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि प्रदेश का अभिभावक केवल निजी स्कूलों की मनमानी से ही प्रताड़ित नहीं है बल्कि शिक्षा विभाग व शिक्षा मंत्रालय से भी अधिक प्रताड़ित है, स्कूल स्तर की शिकायतों के लिए अभिभावकों को शिक्षा विभाग और मंत्रालय की ठोकरें खानी पड़ती है उसके बावजूद अभिभावकों को न्याय नहीं मिलता है,जिस प्रकार से फीस रिवीजन कमेटी का गठन ना कर स्कूलों को मनमानी करने की छूट दी जा रही है ठीक उसी प्रकार डीएमआरसी का गठन ना कर अभिभावकों की आवाज भी दबाई जा रही है।डीएमआरसी (डिस्ट्रिक लेवल फीस कमेटी) अगर अस्तित्व में होती तो निजी स्कूल किस प्रकार मनमानी करते है उसकी समस्त जानकारी तथ्यों के साथ सामने आ सकती है,कौन – कौन से स्कूलों में फीस एक्ट की पालन नहीं हो रही है, कौनसे स्कूलों कितने दामों पर पुस्तके, ड्रेस, टाई, बेल्ट, शूज, कॉपी, ट्रांसपोर्ट के शुल्क वसूल रहे है उसकी जानकारी डीएमआरसी से मिल सकती है इसलिए शिक्षा विभाग और मंत्रालय निजी स्कूलों के दबाव में आकर डीएमआरसी का गठन नहीं कर रहे है, राजस्थान हाईकोर्ट फीस रिवीजन कमेटी को लेकर जो सख्ती दिखा रहा है वह प्रशंसनीय है किंतु रिवीजन कमेटी के साथ डीएमआरसी को भी प्राथमिकता देनी चाहिए।

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