पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ की गीदड़भभकी, भारत ने सिंधु नदी पर बांध बनाया तो हमला कर देंगे


Indus Water Treaty

Pakistan on ban on sindhu water treaty  : पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद से ही भारत और पाकिस्तान में तनाव चरम पर दिखाई दे रहा है। इस बीच पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत को चेतावनी दी है कि अगर उसने सिंधु नदी पर बांध बनाया तो हमला कर देंगे। ALSO READ: जानिए कौन हैं पाकिस्तानी शतरंज के बादशाह, वजीर और खास मोहरे

 

ख्वाजा ने भारत को गीदड़भभकी देते हुए कहा कि सिंधु नदी पर किसी भी तरह के बांध का निर्माण सिंधु जल समझौते का उल्लंघन होगा। उन्होंने कहा कि इसे पाकिस्तान पर सीधा हमला माना जाएगा और ऐसा होने पर पाकिस्तान चुप नहीं बैठेगा।

 

गौरतलब है कि पहलगाम हमले के बाद भारत ने घोषणा की थी कि पाकिस्तान के साथ 1960 की सिंधु जल संधि तत्काल प्रभाव से स्थगित रहेगी, जब तक कि इस्लामाबाद सीमा पार आतंकवाद के लिए अपना समर्थन विश्वसनीय रूप से बंद नहीं कर देता। इस फैसले से पाकिस्तान में हड़कंप मचा हुआ है। ALSO READ: पानी रोका तो बर्बाद हो जाएगा पाकिस्तान, 5 बिन्दुओं से समझें सिंधु जल संधि की कहानी

 

दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं इन नदियों का पानी : सिंधु नदी प्रणाली में मुख्य नदी सिंधु के साथ-साथ बाएं किनारे की इसकी पांच सहायक नदियां रावी, व्यास, सतलुज, झेलम और चिनाब हैं। दाएं किनारे की सहायक नदी ‘काबुल’ भारत से होकर नहीं बहती है। रावी, व्यास और सतलुज को पूर्वी नदियां कहा जाता है जबकि चिनाब, झेलम और सिंधु मुख्य नदियां पश्चिमी नदियां कहलाती हैं। इसका पानी भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान में पंजाब का एक बड़ा हिस्सा सिंचाई के लिए सिंधु और उसकी सहायक नदियों पर निर्भर है।

 

Indus Water Treaty

क्या है सिंधु जल संधि : वर्ष 1960 के सितम्बर महीने में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व पंडित जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के सैनिक शासक फील्ड मार्शल अयूब खान के बीच यह जल संधि हुई थी। विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई इस संधि में रेखांकित किया गया था कि कैसे भारत और पाकिस्तान, दोनों सिंधु नदी के पानी का इस्तेमाल करेंगे। इस जलसंधि के मुताबिक, भारत को जम्मू कश्मीर में बहने वाली सिंध, झेलम और चिनाब के पानी को रोकने का अधिकार नहीं है। ALSO READ: Indus Waters Treaty: सिंधु नदी पाकिस्तान में कितने प्रतिशत बहती है और पानी रोकने के लिए क्या करना होगा?

 

संधि में लिंक नहरों, बैराजों और ट्यूबवेलों के लिए धन जुटाने और निर्माण के लिए भी प्रावधान शामिल किए थे। खास तौर से सिंधु नदी पर तारबेला बांध और झेलम नदी पर मंगला बांध पर। इनसे पाकिस्तान को उतनी ही मात्रा में पानी लेने में मदद मिली जो उसे पहले उन नदियों से मिलती थी जो संधि के बाद भारत के हिस्से में आ गई थीं।

 

क्यों हुआ था सिंधु नदी समझौता : यह नौबत इसलिए आई क्योंकि 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन  के बाद दोनों देशों के बीच पानी पर विवाद हो गया था। 1 अप्रैल 1948 से भारत ने, अपने इलाके से होकर पाकिस्तान जाने वाली नदियों का पानी रोकना शुरू कर दिया। तब 4 मई 1948 को विवाद निपटाने के लिए एक इंटर-डोमिनियन समझौता हुआ जिसके तहत भारत को सालाना भुगतान के बदले में बेसिन के पाकिस्तानी हिस्सों को पानी उपलब्ध कराना था। हालांकि यह रास्ता स्थाई नहीं था, बस एक ऐसा तरीका था जहां से विवाद निपटाने का काम शुरू होकर और आगे जाना था।

 

फिर आखिरकार 1951 में टेनेसी वैली अथॉरिटी और अमेरिकी परमाणु ऊर्जा आयोग दोनों के पूर्व प्रमुख डेविड लिलिएनथल ने अपने लेखन के लिए इस क्षेत्र का दौरा किया। तब उन्होंने सुझाव दिया कि भारत और पाकिस्तान को नदियों पर एक तंत्र का साथ में विकास और फिर उसका प्रबंधन देखना चाहिए। उन्होंने इसके लिए एक समझौते का सुझाव दिया। 

 

1954 में वर्ल्ड बैंक ने दोनों देशों को एक प्रस्तावित समझौता थमाया। इस पर छह साल तक कई दौर की बातचीत के बाद भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अय्यूब खान ने 1960 में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही सिंधु नदी जल संधि प्रभाव में आई। 

edited by : Nrapendra Gupta

 



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