SC की इस टिप्‍पणी पर भड़के उपराष्‍ट्रपति धनखड़, बोले- अदालतें आदेश नहीं दे सकतीं, यह लोकतंत्र के खिलाफ


Jagdeep Dhankhar
Vice President Jagdeep Dhankhar News : राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समय सीमा निर्धारित करने वाले उच्‍चतम न्‍यायालय के ऐतिहासिक फैसले के कुछ दिनों बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका के लिए कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते, जहां अदालतें राष्ट्रपति को निर्देश दें। धनखड़ ने कहा कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं। हाल ही में दिल्ली में एक जज के आवास पर हुई घटना और नकदी मिलने के मामले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एफआईआर दर्ज न होने और राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मद्देनजर ये सवाल उठाए।

 

खबरों के अनुसार, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों पर निर्णय लिए जाने के वास्ते समयसीमा निर्धारित करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसले पर शुक्रवार को चिंता जताई और कहा कि भारत ने ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां न्यायाधीश कानून बनाएंगे, कार्यपालिका का काम स्वयं संभालेंगे और एक ‘सुपर संसद' के रूप में कार्य करेंगे।

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उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 142 के तहत कोर्ट को मिला विशेष अधिकार लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ 24×7 उपलब्ध न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है। जज सुपर पार्लियामेंट की तरह काम कर रहे हैं। राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समय सीमा निर्धारित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के कुछ दिनों बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका के लिए कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां अदालतें राष्ट्रपति को निर्देश दें। 

 

धनखड़ ने कहा, हाल ही में एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें बेहद संवेदनशील होना होगा। यह कोई समीक्षा दायर करने या न करने का सवाल नहीं है। हमने इस दिन के लिए लोकतंत्र का सौदा नहीं किया था। धनखड़ ने कहा कि भारत में राष्ट्रपति का पद बहुत ऊंचा है और राष्ट्रपति संविधान की रक्षा, संरक्षण एवं बचाव की शपथ लेते हैं, जबकि मंत्री, उपराष्ट्रपति, सांसदों और न्यायाधीशों सहित अन्य लोग संविधान का पालन करने की शपथ लेते हैं।

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पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार यह निर्धारित किया था कि राष्ट्रपति को राज्यपाल की ओर से विचारार्थ सुरक्षित रखे गए विधेयकों पर संदर्भ प्राप्त होने की तिथि से तीन माह के भीतर निर्णय लेना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा, राष्ट्रपति को समयबद्ध तरीके से फैसला करने के लिए कहा जा रहा है और यदि ऐसा नहीं होता है, तो संबंधित विधेयक कानून बन जाता है।

 

हाल ही में दिल्ली में एक जज के आवास पर हुई घटना और नकदी मिलने के मामले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एफआईआर दर्ज न होने और राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मद्देनजर ये सवाल उठाए। हाल ही में एक फैसले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि आखिर हम जा कहां रहे हैं? देश में हो क्या रहा है?

 

क्‍या है अनुच्छेद 142 : भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 एक ऐसा प्रावधान है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट को कुछ विशेषाधिकार मिले हुए हैं। इस अनुच्छेद के जरिए जिन मामलों में अभी तक कोई कानून नहीं बना है, उन मामलों में सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकता है। हालांकि यह फैसला संविधान का उल्लंघन करने वाला न हो।

 

आसान शब्दों में कहें तो यह अनुच्छेद सुप्रीम कोर्ट को किसी भी मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए विशेष अधिकार देता है। यह न्यायालय को कानून के अनुसार ऐसा कोई भी आदेश देने की अनुमति देता है, जो न्याय के हित में हो। यह अनुच्छेद न्यायालय को विवेकाधीन शक्ति प्रदान करता है।
Edited By : Chetan Gour



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