हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा पर बन रहे हैं कई शुभ योग, जानिए कौन होगा वर्ष का राजा


Traditions and customs of Hindu New Year: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है। इस बार विक्रम संवत 2082 का प्रारंभ 30 मार्च 2025 रविवार से होगा और इसका समापन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 19 मार्च 2026 गुरुवार को होगा। रविवार के देवता सूर्य भगवान हैं। सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। इसलिए नववर्ष के इस बार के राजा सूर्य ग्रह रहेंगे और मंत्री भी सूर्य ही होंगे। हालांकि कुछ विद्वान चंद्र को मंत्री बता रहे हैं। सूर्य के राजा होने से गर्मी का प्रकोप बढ़ सकता है। कृषि क्षेत्र में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। दूध के भाव बढ़ सकते हैं। राजनीतिक उथल पुथल और संघर्ष का माहौल भी बन सकता है। पूरे संवत के लिए ग्रहों का एक मंत्रिमंडल भी होता है। इस संवत का नाम सिद्धार्थी बताया जा रहा है।

 

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ- 29 मार्च 2025 को शाम 04:27 बजे से।

प्रतिपदा तिथि समाप्त- 30 मार्च 2025 को दोपहर 12:49 बजे।

 

शुभ योग:-

1. अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:01 से दोपहर 12:50 के बीच।

2. अमृत काल- 30 मार्च शाम को दोपहर 02:28 से दोपहर 03:52 के बीच।

3. इन्द्र योग- 30 मार्च शाम को शाम 05:54 तक।

4. सर्वार्थ सिद्धि योग- 30 मार्च शाम को 04:35 से अगले दिन 31 मार्च सुबह 06:12 तक।

इस हिंदू नववर्ष को प्रत्येक राज्य में अलग अलग नाम से पुकारा जाता है परंतु है यह नवसंवत्सर। गुड़ी पड़वा, होला मोहल्ला, युगादि, विशु, वैशाखी, कश्मीरी नवरेह, उगाडी, चेटीचंड, चित्रैय तिरुविजा आदि सभी की तिथि इस नव संवत्सर के आसपास ही आती है। 

 

इस दिन चैत्र नवरात्रि भी प्रारंभ होती है इसलिए घट स्थापना भी करते हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठकर अभ्यंग स्नान करते हैं। महाराष्ट्र में गुड़ी की पूजा होती है और बाकी जगहों पर ध्वज की पूजा होती है। पूजा के बाद नीम और श्रीखंड खाने का रिवाज है। इसी के साथ ही पुरन पोली, पुरी, खीर, मीठे चावल आदि पकवान बनाए जाते हैं। इस दिन किसी पंडित को बुलाकर नए वर्ष का भविष्यफल और पंचाग सुनने-सुनाने की भी परम्परा है। इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण से पंचांग का भविष्यफल सुना जाता है। इस दिन कोई अच्‍छा कार्य किया जाता है। जैसे प्याऊ लगाना, ब्राह्मणों या गायों को भोजन कराना। इस दिन बहिखाते नए किए जाते हैं। इस दिन नए संकल्प लिए जाते हैं।



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