ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ा तापमान, क्या बर्फ के लिए तरसेगा कश्मीर?



Jammu Kashmir news in hindi : अगर बदलते मौसम चक्र पर एक नजर दौड़ाएं तो यही लगता है कि कश्मीर निकट भविष्य में बर्फ के लिए तरसेगा। ऐसे में कम बर्फबारी उस स्टडी को चेतावनी के तौर पर लेने को मजबूर कर रही है जिसमें कहा गया है कि भविष्य में कश्मीर बर्फ से वंचित रह सकता है।

 

मौसम विशेषज्ञों ने यह पूर्वानुमान भी व्यक्त किया है कि फरवरी के अंत तक कश्मीर में कोई भारी बर्फबारी की संभावना कम है। कश्मीर वादी भले ही इन सर्दियों में शीतलहर की चपेट में रही हो मगर कम बर्फबारी ने सभी को निराश किया है जिसका प्रभाव दिखने लगा है।

 

माना कि कश्मीर में सूखे और शुष्क सर्दी से बचने की खातिर अदा की जाने वाली नमाजे इस्ताशका को खुदा ने कई बार सुना और कश्मीरियों की कबूल हुई दुआ हमेशा बर्फ के रूप में गिरी। पर कश्मीरियों को खुश नहीं कर सकी थी क्योंकि दो साल पहले श्रीनगर शहर में गिरने वाली बर्फ 3.4 मिमी बारिश के ही बराबर ही थी।

 

2 साल पहले कश्मीरियों को करीब 5 सालों के अरसे के बाद सूखे और बर्फ से निजात पाने की खातिर नमाजे इस्ताशका का सहारा लेना पड़ा था। पांच साल पहले ऐसा हुआ था। उसके अगले 2 साल भी इतनी खुशी तो नहीं दे पाए थे लेकिन तीसरा साल बर्फीले सुनामी के तौर पर सामने जरूर आया था। वर्ष 2007 खुशियों से भरा था क्योंकि सर्दी और बर्फ समय से पहले आ गई थीं।

 


अगर कुछ इसे खुदा का करिशमा मान रहे हैं तो कुछ ग्लोबल वार्मिंग का नतीजा। लेकिन कश्मीर के मौसम पर स्टडी कर रिपोर्ट तैयार करने वाले रिसर्च स्कालर अर्जिमंद तालिब हुसैन की रिपोर्ट एक छुपी हुई चेतावनी दे रही है। यह चेतावनी कश्मीर से बर्फ के पूरी तरह से गायब हो जाने के प्रति है।

 

तालिब हुसैन की रिसर्च कहती है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान बढ़ा है। यह औसतन कश्मीर में 1.450 डिग्री ऊपर गया है और जम्मू में 2.320 डिग्री। हालांकि मौसम विभाग कहता है कि जम्मू कश्मीर में 0.050 डिग्री की दर से प्रतिवर्ष तापमान में वृद्धि हो रही है।

 

इस स्टडी रिपोर्ट की चेतावनी सच्चाई में भी बदल रही है। कश्मीर में अभी तक कम बर्फबारी तथा साल में 9 महीने बंद रहने वाले जोजिला दर्रे के पिछले बार लंबे समय तक खुले रहने की सच्चाई चेतावनी ही थी।

याद रहे जोजिला दर्रे पर हमेशा 20 फुट बर्फ जमी रहती थी और साल के 9 महीने इसे बंद रखना पड़ता था पर पिछले कुछ सालों से इसके खुलने का समय लगातार बढ़ता जा रहा है और वर्ष 2008 में तो इसने हद ही कर दी क्योंकि सर्दियों में इसे पूरी तरह बंद इसलिए नहीं किया जा सका क्योंकि हैवी स्नोफाल ही नहीं हुआ था। इस बार भी यही हाल है।

 

स्टडी रिपोर्ट कहती है कि मौसम का चक्र भी ग्लोबल वार्मिंग ने बदल दिया है। यहां पहले दिसम्बर और जनवरी में बर्फ गिरा करती थी वह अब फरवरी और मार्च में होने लगा है। कश्मीर में स्नो सुनामी अगर इसकी पुष्टि करता है तो वर्ष 2007 के मई के पहले सप्ताह में ऊंचे पहाड़ों पर गिरने वाली बर्फ भी इसकी पुष्टि करती है।

 

ऐसे में इस रिपोर्ट की चेतावनी कश्मीरियों को डरा जरूर रही है जो कह रही है कि अगर ग्लोबल वार्मिंग को थामा नहीं गया तो कश्मीर आने वाले सालों में बर्फ से पूरी तरह से वंचित हो सकता है और फिर कोई भी ऐसा नहीं कहेगा कि कश्मीर धरती का स्वर्ग है। हालांकि बर्फ से वंचित होने की चेतावनी के साथ ही कश्मीर में खाद्य सामग्री की किल्लत की भी चेतावनी यह स्टडी रिपोर्ट दे रही है।

edited by : Nrapendra Gupta



Source link

Leave a Reply

Back To Top