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UPSC chairman Manoj Soni resigns : संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष मनोज सोनी ने निजी कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सोनी का कार्यकाल मई 2029 में समाप्त होना था। यूपीएससी अध्यक्ष ने निजी कारणों का हवाला देते हुए एक पखवाड़े पहले इस्तीफा सौंप दिया था। इसे अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है।
आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। सोनी का कार्यकाल मई 2029 में समाप्त होना था। सूत्रों ने कहा कि सोनी के इस्तीफे का परिवीक्षाधीन आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी पूजा खेडकर का मामला सामने आने के बाद संघ लोक सेवा आयोग पर उठ रहे सवालों से कोई लेना-देना नहीं है।
एक पखवाड़े पहले इस्तीफा सौंप दिया था : एक सूत्र ने कहा, यूपीएससी अध्यक्ष ने निजी कारणों का हवाला देते हुए एक पखवाड़े पहले इस्तीफा सौंप दिया था। इसे अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। प्रख्यात शिक्षाविद् सोनी (59) ने 28 जून, 2017 को आयोग के सदस्य के रूप में पदभार संभाला था। उन्होंने 16 मई, 2023 को यूपीएससी अध्यक्ष के रूप में शपथ ली थी और उनका कार्यकाल 15 मई, 2029 को समाप्त होना था।
सूत्रों के मुताबिक, सोनी यूपीएससी अध्यक्ष बनने के इच्छुक नहीं थे और उन्होंने पद से मुक्त किए जाने का अनुरोध किया था, लेकिन तब उनका अनुरोध स्वीकार नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि सोनी अब सामाजिक-धार्मिक गतिविधियों पर अधिक समय देना चाहते हैं।
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यह घटनाक्रम इसलिए महत्व रखता है, क्योंकि यूपीएससी ने शुक्रवार को कहा था कि उसने परिवीक्षाधीन आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ कई कार्रवाई शुरू की हैं, जिनमें फर्जी पहचान दस्तावेज के जरिए सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के अधिक मौके पाने के आरोप में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराना शामिल है। आयोग ने कदाचार के आरोपों की ‘गहन जांच’ के बाद खेडकर के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया।
उसने सिविल सेवा परीक्षा-2022 के लिए उनकी उम्मीदवारी रद्द करने और भविष्य की परीक्षाओं में शामिल होने से रोकने के लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया। खेडकर द्वारा सत्ता और विशेषाधिकारों के कथित दुरुपयोग का मामला जब से सामने आया है, तब से सोशल मीडिया पर आईएएस और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों द्वारा फर्जी प्रमाण पत्रों के इस्तेमाल के दावों और प्रतिदावों की बाढ़ सी आ गई है।
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सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने कुछ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के नाम, तस्वीरें और अन्य विवरण साझा किए हैं, जिनमें दावा किया गया है कि उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग (गैर-क्रीमी लेयर) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) से संबंधित लोगों के लिए उपलब्ध लाभों का दावा करने के लिए फर्जी प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया।
सोनी ने कुलपति के रूप में 3 कार्यकाल पूरे किए थे : यूपीएससी में अपनी नियुक्ति से पहले सोनी ने कुलपति के रूप में तीन कार्यकाल पूरे किए थे। उन्होंने एक अगस्त 2009 से 31 जुलाई 2015 तक डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय (बीएओयू), गुजरात के कुलपति के रूप में लगातार दो कार्यकाल और अप्रैल 2005 से अप्रैल 2008 तक बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय (एमएसयू) के कुलपति के रूप में एक कार्यकाल पूरा किया।
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एमएसयू में नियुक्त होने के दौरान सोनी भारत में किसी विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के कुलपति बने थे। अंतरराष्ट्रीय संबंधों एवं राजनीति विज्ञान के विद्वान सोनी सरदार पटेल विश्वविद्यालय (एसपीयू), वल्लभ विद्यानगर में अंतरराष्ट्रीय संबंध विषय पढ़ाया करते थे। यूपीएससी का नेतृत्व अध्यक्ष करता है और इसमें अधिकतम 10 सदस्य हो सकते हैं। वर्तमान में यूपीएससी में सात सदस्य हैं, जो इसकी स्वीकृत संख्या से तीन कम हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour
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