महावीर स्वामी की आरती : Lord Mahavir aarti


Bhagwan Mahavir aarti: जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी हैं। उन्होंने जैन धर्म के पंचशील सिद्धांतों पर अधिक जोर दिया। वे सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अस्तेय और ब्रह्मचर्य हैं। इस वर्ष 10 अप्रैल, गुरुवार को महावीर जयंती मनाई जा रही है। भगवान महावीर की जयंती के खास अवसर पर आपके लिए प्रस्तुत है महावीर भगवान की आरती…

 

जय महावीर प्रभो : आरती

 

जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो।

कुंडलपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभो॥ ॥ ॐ जय…..॥

 

सिद्धारथ घर जन्मे, वैभव था भारी, स्वामी वैभव था भारी।

बाल ब्रह्मचारी व्रत पाल्यौ तपधारी ॥ ॐ जय…..॥

 

आतम ज्ञान विरागी, सम दृष्टि धारी।

माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योति जारी ॥ ॐ जय…..॥

 

जग में पाठ अहिंसा, आपहि विस्तार्यो।

हिंसा पाप मिटाकर, सुधर्म परिचार्यो ॥ ॐ जय…..॥

 

इह विधि चांदनपुर में अतिशय दरशायौ।

ग्वाल मनोरथ पूर्‌यो दूध गाय पायौ ॥ ॐ जय…..॥

 

प्राणदान मन्त्री को तुमने प्रभु दीना।

मन्दिर तीन शिखर का, निर्मित है कीना ॥ ॐ जय…..॥

 

जयपुर नृप भी तेरे, अतिशय के सेवी।

एक ग्राम तिन दीनों, सेवा हित यह भी ॥ ॐ जय…..॥

 

जो कोई तेरे दर पर, इच्छा कर आवै।

होय मनोरथ पूरण, संकट मिट जावै ॥ ॐ जय…..॥

 

निशि दिन प्रभु मन्दिर में, जगमग ज्योति जरै।

हरि प्रसाद चरणों में, आनन्द मोद भरै ॥ ॐ जय…..॥

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